कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस एक बार फिर साथ आ सकते हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियों के बीच कुछ सीटों पर एडजस्टमेंट हो सकती है। दोनों के बीच औपचारिक तालमेल नहीं होगा क्योंकि उसका नुकसान होता है। ध्यान रहे 2019 का लोकसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने एक साथ चुनाव लड़ा था। कांग्रेस 21 और जेडीएस सात सीटों पर लड़ी थी लेकिन दोनों एक एक सीट जीत पाए। दोनों के साथ आने से भाजपा को वोटों का ध्रुवीकरण कराने में आसानी हो गई। इसके अलावा कांग्रेस और जेडीएस के कोर वोट के बीच भी तालमेल नहीं बन पाया।
असल में कर्नाटक का जातीय समीकरण ऐसा है कि कुछ सीटों पर तालमेल का फायदा कांग्रेस और जेडीएस को होगा तो कुछ सीटों पर त्रिकोणात्मक मुकाबला होगा तभी कांग्रेस या जेडीएस जीतेगी। सीधे मुकाबले में भाजपा के जीतने की संभावना ज्यादा रहती है। तभी बताया जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच सीटों के एडजस्टमेंट की बात चल रही है। सिद्धरमैया चाहते हैं कि रणनीतिक रूप से सीटों का चयन हो और जहां जेडीएस मजबूत हो वहां कांग्रेस कमजोर उम्मीदवार उतार कर उसकी मदद करे। उनका कहना है कि जेडीएस को हराने के चक्कर में भाजपा की जीत सुनिश्चित नहीं करनी है। दूसरी ओर डीके शिवकुमार का लक्ष्य भाजपा के साथ साथ जेडीएस को भी हराने का है। सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच सीटों को लेकर चल रही जिस खींचतान की खबर मीडिया में आ रही है वह खींचतान असल में उनकी आपसी लड़ाई या अपने समर्थकों को ज्यादा सीट दिलाने से ज्यादा जेडीएस को एडजस्ट करने के प्रयासों की वजह से हो रही है।