कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा वैसे तो भाजपा के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं और उन्होंने यह भी कहा कि उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को पूरे राज्य में युवाओं का समर्थन मिल रहा है लेकिन भाजपा के नेता उनको लेकर आशंकित हैं। उनको लग रहा है कि येदियुरप्पा पहले की तरह प्रचार नहीं कर रहे हैं और उनको मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद लिंगायत समुदाय में नकारात्मक माहौल बना है। इसके अलावा लिंगायत समुदाय के पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी के कांग्रेस में जाने और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार के नाराज होने से भी लिंगायत समुदाय में भाजपा से दूरी बनी है।
तभी माना जा रहा है कि भाजपा हिजाब और हलाल मीट का मुद्दा बना सकती है। हालांकि येदियुरप्पा ने इसे खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि वे ऐसे मुद्दों में भरोसा नहीं करते हैं। ध्यान रहे 2021 में येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद ही कर्नाटक में हिजाब का मुद्दा उठा था और उसके बाद हलाल मीट का मामला आया था। ऐसा लग रहा है कि भाजपा के प्रदेश के नेता इस तरह के सांप्रदायिक मुद्दों से येदियुरप्पा की कमी की भरपाई करना चाहते हैं। हालांकि पार्टी के नेता इस भरोसे में नहीं हैं कि यह मुद्दा कितना कारगर होगा। इसके अलावा टीपू सुल्तान बनाम सावरकर का मुद्दा भी है, जो एक तरह से वैचारिक लड़ाई का आधार है। बहरहाल, 20 अप्रैल को नामांकन की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद जब प्रचार शुरू होगा तब पता चलेगा कि भाजपा किन मुद्दों को ज्यादा हाईलाइट करती है।