जम्मू कश्मीर में एक बड़ा विपक्षी गठबंधन बन सकता है। जेल से रिहा होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने हालांकि कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म किए जाने के बारे में कुछ नहीं कहा है पर वे राजनीतिक गतिविधियों में जुट गए हैं। उन्होंने नजरबंदी से रिहाई के बाद सबसे पहले अपने बेटे उमर अब्दुल्ला और पूरे परिवार के साथ मुलाकात की और दो दिन के बाद उन्होंने अपनी धुर विरोधी पीडीपी की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से मुलाकात की। यह एक नए राजनीतिक समीकरण का संकेत है, जिसकी नींव नवंबर 2017 में रखी जा चुकी है। ध्यान रहे नवंबर 2017 में जम्मू कश्मीर विधानसभा की तीन पार्टियों- नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस ने साथ मिल कर सरकार बनाने की पहल की थी।
माना जा रहा है कि इस बार चुनाव से पहले ये पार्टियां साथ आ सकती हैं। इन तीनों पार्टियों के नेता भाजपा के चुनावी दांव को लेकर चिंता में हैं। भाजपा ने पहल करके पीडीपी के पूर्व नेता अल्ताफ बुखारी से एक पार्टी बनवाई है। जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी में पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के पूर्व नेता शामिल हैं। अल्ताफ बुखारी और सज्जाद लोन के जरिए भाजपा कश्मीर घाटी की राजनीति करेगी और खुद जम्मू में फोकस करेगी। अगर भाजपा विरोधी बाकी तीनों पार्टियां एक होकर नहीं लड़ेंगी तो अगले चुनाव के बाद राज्य में नया राजनीतिक समीकरण उभर सकता है। ऊपर से परिसीमन अलग से हो रही है, जिसके बाद सीटों की संख्या भी बढ़ेगी और डेमोग्राफिक संरचना भी प्रभावित होगी। इस चिंता में तीनों पार्टियां साथ आ सकती हैं।
कश्मीर में विपक्ष एक साथ लड़ेगा!
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