सोचें, कांग्रेस कश्मीरी पंडितों की पार्टी है। पंडित मोतीलाल नेहरू खांटी कश्मीरी कौल ब्राह्मण थे और कांग्रेस के सबसे दिग्गज नेताओं में से एक रहे। कांग्रेस महात्मा गांधी से पहले मोतीलाल नेहरू की थी। वे महात्मा गांधी से पहले कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। गांधी 1924 में पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष बने, जबकि मोतीलाल नेहरू 1919 में अध्यक्ष बने थे। उनसे भी पहले 1911 में कश्मीरी पंडित बिशन नारायण डार कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। मोतीलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी उसके बाद कितनी बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। नेहरू की जिद से कश्मीर घाटी भारत का अभिन्न हिस्सा बनी रही। kashmiri pandit anupam kher
Read also हिंदू सोचें, इजराइल के आईने में!
आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू की सरकार से लेकर इंदिरा गांधी की सरकार में और सोनिया गांधी की कमान वाली कांग्रेस की सरकार में कश्मीरी पंडितों का बोलबाला रहा। उन्होंने एक तरह से सेना से लेकर सरकार और विदेशी मिशन तक की कमान संभाली। विजय लक्ष्मी पंडित, ब्रजमोहन कौल, दुर्गा प्रसाद धर, परमेश्वर नारायण हक्सर से लेकर शीला कौल और माखनलाल फोतेदार तक कश्मीरी पंडित कमान में रहे। राहुल गांधी भी गर्व से अपने को कश्मीरी पंडित बताते हैं। लेकिन आज सब पर भारी अनुपम खेर हैं। एक फिल्म क्या बनी वे कश्मीरी पंडितों की पहचान और उनकी तकलीफों के प्रतीक के रूप में जनमानस में बैठ गए। यह प्रचार की ताकत है। वरना असलियत तो यह है कि उनका परिवार पचास के दशक में ही कश्मीर छोड़ कर हिमाचल प्रदेश चला गया था, जहां उनके पिता वन विभाग में नौकरी करते थे। आज भी उनका परिवार हिमाचल प्रदेश में ही रहता है।
Tags :Anupam Kher Kashmiri Pandit