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कश्मीरी पंडितों की सरकार से नाराजगी

ByNI Political,
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कश्मीरी पंडितों की सरकार से नाराजगी
कश्मीरी पंडित ( kashmiri pandits  ) केंद्र सरकार से नाराज हैं। पहली बार उन्होंने कई तरह से अपनी नाराजगी जाहिर की है। भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी ने 24 जून को कश्मीर के नेताओं का साथ हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक को लेकर यह मुद्दा उठाया और कहा कि इसमें कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों को नहीं बुलाया गया। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना कश्मीरी पंडित हैं लेकिन वे भाजपा की नुमाइंदगी कर रहे थे। कश्मीरी पंडितों के समूहों का कहना है कि उनके प्रतिनिधियों को बैठक में बुलाया जाना चाहिए था ताकि वे अपना पक्ष रख सकें। दिल्ली में कश्मीरी पंडितों के सरोकारों की नुमाइंदगी करने वालों में से एक सुशील पंडित ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि कश्मीर में पंडितों का नरसंहार हुआ था और लाखों कश्मीरी पंडित ( kashmiri pandits ) शरणार्थी बन गए लेकिन यह चर्चा का मुद्दा नहीं है। ध्यान रहे प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद इकलौते नेता थे, जिन्होंने कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कांग्रेस की ओर पांच सूत्री मांग पेश करते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में बसाने की योजना पर बात होनी चाहिए।

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इस बीच खबर है कि कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने भाजपा के एक प्रवक्ता की शिकायत करते हुए पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि प्रवक्ता टेलीविजन की बहसों में कश्मीरी पंडितों को अपना पक्ष नहीं रखने देते हैं, उन्हें चुप करा देते हैं। यह पहली बार है, जब कश्मीरी पंडित कई स्तर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। माना जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में चुनाव की तैयारियों को देखते हुए उन्होंने अपना मुद्दा जोर-शोर से उठाने का फैसला किया है। उनको लग रहा है कि इस समय उनकी सुनवाई हो सकती है।
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