दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कई चीजों में भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की राजनीति को फॉलो करते हैं। देशभक्ति का मामला हो या हनुमान भक्ति का, केजरीवाल पीछे नहीं रहते हैं। तभी जब उनकी सरकार ने 2047 में दिल्ली के लोगों की आय सिंगापुर के बराबर करने और 2048 ओलंपिक के लिए बोली लगाने का ऐलान किया तो हैरानी नहीं हुई। आखिर भाजपा के भी एक बड़े नेता ने सरकार बनने के बाद कहा था कि भारत का विकास करने के लिए 25 साल चाहिए। हालांकि बाद में वे इस बात से मुकर गए। लेकिन यह हकीकत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी निकट भविष्य का लक्ष्य तय नहीं करते हैं। वे 2014 में प्रधानमंत्री बने थे तब सारे लक्ष्य 2022 के रखे थे और अब तो 2047 में आजादी के एक सौ साल पूरे होने तक का लक्ष्य तय किया जा रहा है।
इस साल के देशभक्ति बजट में केजरीवाल सरकार ने भी आजादी की सौवीं सालगिरह यानी 2047 तक का लक्ष्य तय किया है। बजट पेश करते हुए उनकी सरकार ने कहा कि 2047 तक दिल्ली के लोगों की प्रति व्यक्ति आमदनी सिंगापुर के बराबर कर दी जाएगी। हालांकि उनके वित्त मंत्री ने यह नहीं बताया कि सिंगापुर के लोगों की अभी जितनी आमदनी है उतनी कर दी जाएगी या 2047 में जितनी प्रति व्यक्ति आमदनी होगी, उसके बराबर की जाएगी? हो सकता है कि उनके वित्त मंत्री से पूछ दिया जाए कि सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आमदनी कितनी है तो नहीं बता पाएं! यह तो अंदाजा नहीं ही होगा कि 2047 में सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आय कितनी है! लेकिन 2047 में देश की आजादी के एक सौ साल हो रहे हैं तो कह दिया कि सिंगापुर के बराबर आय कर देंगे। जैसे दिल्ली को कई नेता शिकागो, टोक्यो या लंदन बनाने वाले थे या काशी को क्योटो बनाने वादा किया गया था।
केजरीवाल ने दूसरा वादा 2048 ओलंपिक दिल्ली में कराने के लिए बोली लगाने का लक्ष्य रखा है। सोचें, जिस महानगर में 1983 में एशियाई खेल हो चुके हैं और 2010 में कॉमनवेल्थ खेलों का सफल आयोजन हो चुका है वहां 2048 ओलंपिक के लिए बोली लगाई जाएगी? अभी तक ओलंपिक कमेटी ने 2028 के खेलों की मेजबानी का फैसला किया है। 2028 में अमेरिका के लॉस एंजिल्स में ओलंपिक खेल होंगे। उसके बाद 2032 ओलंपिक ब्रिसबेन में होने की संभावना है। हालांकि अभी यह तय नहीं है। सोचें, उसके बाद चार ओलंपिक की मेजबानी तय होगी और तब 2048 की बारी आएगी। एक अनुमान के मुताबिक 2040 से थोड़ा पहले उसकी मेजबानी तय होगी। केजरीवाल सरकार ने उसका लक्ष्य रखा है। दिल्ली जैसे छोटे से महानगर में, जहां पहले से तमाम बुनियादी सुविधाएं तैयार हैं, जहां दो बड़े खेलों का आयोजन हो चुका है वहां 28 साल बाद का लक्ष्य तय करने का क्या मतलब है? छह साल से तो उनकी प्रचंड बहुमत वाली सरकार चल रही है पर कोई नया स्टेडियम नहीं बना है और न कोई खेल फैसिलिटी विकसित हुई है। उलटे कॉमनवेल्थ खेल आयोजन के समय बने स्टेडियम भी खाली पड़े हैं। लेकिन दावा 2048 के ओलंपिक का है!
केजरीवाल को भी चाहिए 25 साल!
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