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केजरीवाल को विपक्ष की जरूरत

अरविंद केजरीवाल को अब फिर विपक्ष की जरूरत महसूस हो रही है। आमतौर पर वे विपक्ष के काम नहीं आते हैं। उलटे सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस का काम बिगाड़ने में लगे रहते हैं। लेकिन जब भी मुश्किल में फंसते हैं तो विपक्ष से मदद की अपील करते हैं। पिछले दिनों जब सीबीआई ने उनको समन किया और पूछताछ की तब विपक्ष ने उनका समर्थन किया था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फोन करके उनके प्रति सद्भाव प्रकट किया था और कांग्रेस के समर्थन का वादा किया था। लेकिन केजरीवाल की पार्टी ने कर्नाटक में 168 उम्मीदवार उतारे। उन्होंने खड़गे के बेटे प्रियांक के खिलाफ भी उम्मीदवार उतारा।

बहरहाल, अब एक तरफ वे और उनके चुनाव रणनीतिकार संदीप पाठक राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और दूसरी ओर केजरीवाल विपक्ष से मदद की अपील कर रहे हैं। संदीप पाठक ने कहा है कि आम आदमी पार्टी राजस्थान में अपना चुनाव अभियान जल्दी शुरू करेगी ताकि बेहतर प्रदर्शन किया जा सके। वे गुजरात का प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद कर रहे हैं, जहां आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोट में सेंध लगा कर 13 फीसदी वोट हासिल कर लिया था।

इस बीच केंद्र सरकार ने दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार से छीनने के लिए एक अध्यादेश जारी कर दिया है। दिल्ली सरकार को यह अधिकार सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के एक फैसले से मिला था। लेकिन अध्यादेश के जरिए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का का फैसला भी पलट दिया है। अब दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एक प्राधिकरण अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति का फैसला करेगा, जिसके अध्यक्ष तो मुख्यमंत्री होंगे लेकिन बहुमत केंद्र से नियुक्त अधिकारियों का होगा। केजरीवाल ने इस अध्यादेश को लोकतंत्र पर हमला बताया है और विपक्षी पार्टियों से समर्थन मांगा है।

वे चाहते हैं कि विपक्षी पार्टियां एकजुट हों और संसद के शीतकालीन सत्र में इस अध्यादेश को कानून बनने से रोकें। ध्यान रहे इस मामले में कानूनी लड़ाई अलग चलेगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले को चुनौती दी है और पुनर्विचार की याचिका दायर की है। दिल्ली सरकार अध्यादेश का मामला भी अदालत में ले जाएगी। लेकिन उस बीच केजरीवाल ने कहा है कि सभी विपक्षी पार्टियां मिल कर राज्यसभा में बिल को रोकें। इसके लिए उन्होंने कहा है कि वे सभी पार्टियों से नेताओं से बात करें। मुश्किल यह है कि उनके लिए विपक्ष का मतलब तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति है। वे इन्हीं तीन पार्टियों के नेताओं के साथ राजनीति कर रहे हैं। उनके कांग्रेस विरोध की वजह से ही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के नेता उनके सख्त खिलाफ है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने उनकी सरकार भंग करके राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है तो दिल्ली के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कांग्रेस के तमाम वकील नेताओं से केजरीवाल का मुकदमा नहीं लडने की अपील की है।

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