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इस हफ्ते बन जाएगी खड़गे की टीम

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी टीम लगभग फाइनल कर ली है। बताया जा रहा है कि इस हफ्ते नए पदाधिकारियों की घोषणा हो सकती है और इसी हफ्ते कांग्रेस कार्य समिति के सदस्यों के नाम भी घोषित हो सकते हैं। कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक महासचिवों में ज्यादा बदलाव नहीं होगा। मौजूदा महासचिव बने रह सकते हैं। खड़गे की टीम में महासचिवों की संख्या बढ़ेगी। अभी 10 महासचिव हैं, जिनकी संख्या 12 से ज्यादा हो सकती है। मौजूदा महासचिवों में केसी वेणुगोपाल, प्रियंका गांधी वाड्रा, रणदीप सुरजेवाला, तारिक अनवर, मुकुल वासनिक, जयराम रमेश और जितेंद्र सिंह के बने रहने की पूरे चांस हैं।

बुजुर्ग नेता ओमन चांडी की सेहत ठीक नहीं है। इसलिए उनकी जगह नया महासचिव नियुक्त होगा। अविनाश पांडे को भी कोई अन्य जिम्मेदारी दिए जाने की संभावना है। महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले अजय माकन की वापसी हो सकती है। सबसे ज्यादा बदलाव प्रभारी महासचिवों में होगा। कई राज्यों में प्रभारियों के बदले जाने की चर्चा है। बताया जा रहा है जिन राज्यों में इस साल चुनाव होने वाले हैं वहां के प्रभारी नहीं बदलेंगे। तभी कुमारी शैलजा के बने रहने की संभावना है क्योंकि वे छत्तीसगढ़ की प्रभारी हैं।

कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र के प्रभारी एचके पाटिल को हटाया जाएगा। केरल के प्रभारी तारिक अनवर को भी कोई अन्य जिम्मेदारी दी जा सकती है। ओमन चांडी आंध्र प्रदेश के प्रभारी हैं। उनकी जगह कोई नया नेता आंध्र का प्रभी बनेगा। बिहार के प्रभारी भक्त चरण दास, गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा, झारखंड के प्रभारी अविनाश पांडे, उत्तराखंड के प्रभारी देवेंद्र यादव और पंजाब के हरीश चौधरी को हटाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि प्रभारियों में दो नेताओं की तरक्की की संभावना है। हिमाचल प्रदेश के प्रभारी राजीव शुक्ला और हरियाणा के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। ए चेल्ला कुमार के पास ओड़िशा के साथ पश्चिम बंगाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी है। बंगाल में कोई नया प्रभारी बनेगा।

कांग्रेस कार्य समिति में भी कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है। अभी 47 सदस्यों की स्टीयरिंग कमेटी में जो सदस्य हैं उनमें से ज्यादातर को कार्य समिति में जगह मिलेगी। सोनिया और राहुल गांधी के अलावा मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी पदेन सदस्य होंगे। इनके अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा से लेकर दिग्विजय सिंह और पी चिदंबरम से लेकर मुकुल वासनिक तक ज्यादातर पुराने सदस्यों को जगह मिलेगी। पार्टी में 50 फीसदी पद 50 साल तक की उम्र के युवाओं को देने का फैसला किया गया है। सो, कांग्रेस को इसके लिए नेता खोजने की जरूरत होगी। अगर खड़गे इस नियम का अपवाद नहीं बनाते हैं तो महासचिव और कार्य समिति का सदस्य तलाशने में उनको बहुत ज्यादा मेहनत करनी होगी।

कांग्रेस कहां से लाएगी 50 साल के युवा?
बताया जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी टीम बना ली है और इस हफ्ते उसकी घोषणा हो सकती है। उनकी टीम में सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह देखने वाली होगी कि वे 50 साल से कम उम्र के युवा कहां से खोज कर लाते हैं। ध्यान रहे कांग्रेस ने पिछले साल उदयपुर के नव संकल्प शिविर में तय किया था कि पार्टी पदाधिकारियों में 50 फीसदी पद 50 साल से कम उम्र के युवाओं, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों आदि को दिए जाएंगे। यह बहुत सुविधाजनक सिद्धांत है। हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की नीति पर चलते हुए कांग्रेस 50 साल से कम उम्र के युवाओं वाले सिद्धांत से समझौता करेगी। संसदीय नेताओं में और संगठन में अहम पदों पर यह नियम नहीं लागू होगा।

कांग्रेस के जानकार सूत्रों की मानें तो अभी 47 सदस्यों की जो स्टीयरिंग कमेटी है उसके ज्यादातर सदस्य संगठन में कहीं न कहीं एडजस्ट होंगे। वे महासचिव बनेंगे, प्रभारी महासचिव होंगे और कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य होंगे। मजेदार बात यह है कि इन 47 लोगों में संभवतः एक भी व्यक्ति नहीं है, जो 50 साल से कम है। उत्तराखंड के प्रभारी देवेंद्र यादव अपवाद हैं, लेकिन वे भी इस साल अक्टूबर में 50 साल के हो जाएंगे। जो अपेक्षाकृत युवा हैं जैसे राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, जितेंद्र सिंह, हरीश चौधरी आदि भी 50 साल से ज्यादा उम्र के हैं। सो, अगर स्टीयरिंग कमेटी के सभी सदस्यों को संगठन में कहीं न कहीं एडजस्ट करना है तो 50 साल वाली उम्र सीमा से समझौता होगा। यह पैमाना पार्टी के सचिवों की नियुक्ति में लागू हो सकता है क्योंकि वहां 50 साल से कम उम्र के अनेक लोग पहले से हैं।

बुजुर्ग नेताओं का क्या होगा?
वैसे तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे खुद 80 साल से ज्यादा उम्र के हैं लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं का वे क्या करेंगे? क्या भाजपा की तरह कोई मार्गदर्शक मंडल बनाया जाएगा या मुख्यधारा के संगठन में ही रखा जाएगा? ध्यान रहे कांग्रेस के कई नेता ऐसे हैं, जो अभी स्टीयरिंग कमेटी में हैं और मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने से पहले कांग्रेस के महासचिव थे और कार्य समिति के सदस्य भी थे, लेकिन उम्र और सेहत की वजह से ज्यादा सक्रिय नहीं थे। ऐसे नेताओं के बारे में कांग्रेस को तय करना है कि उनको संगठन से विदा करना है या उम्र और खराब सेहत के बावजूद उनको संगठन में बनाए रखा जाएगा? सोनिया गांधी इसमें अपवाद हैं। उनके और राहुल गांधी के लिए यह नियम बनाया गया है कि वे कार्य समिति के पदेन सदस्य होंगे।

सवाल है कि मनमोहन सिंह का क्या होगा? उनकी उम्र 90 साल से ज्यादा हो गई है और शारीरिक रूप से अब उनकी सक्रियता अब लगभग जीरो है। वे व्हील चेयर से संसद आते हैं और सबसे पीछे उनके बैठने की व्यवस्था की गई है। सवाल है कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री के नाते अब भी उनको कार्य समिति में रखा जाएगा? इसी तरह एक और बुजुर्ग नेता एके एंटनी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया है। वे भी कार्य समिति में हैं। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी की सेहत ठीक नहीं है और उम्र भी काफी ज्यादा हो गई है। अंबिका सोनी भी 80 साल से ज्यादा उम्र की हैं। ये सब अभी स्टीयरिंग कमेटी में हैं। इनके बारे में पार्टी को फैसला करना होगा।

एक दर्जन राज्यों में अध्यक्ष बदलेंगे!
मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के केंद्रीय संगठन में बदलाव के साथ साथ राज्यों में भी बदलाव करने पर काम कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि एक दर्जन राज्यों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बदले जा सकते हैं। इस बारे में खड़गे ने राज्यों की राजनीति से जुड़े अलग समूह के नेताओं से लंबा विचार विमर्श किया है। आसपास के राज्यों के साथ सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए नए अध्यक्षों की नियुक्ति होगी। चुनाव वाले राज्यों में अध्यक्षों को अभयदान मिला है। उनको अभी नहीं बदला जाएगा। कुछ राज्यों में हाल में नियुक्ति हुई है। उनको भी रहने दिया जाएगा। लेकिन कई बड़े राज्यों में नए अध्यक्ष नियुक्त होंगे। कई किस्म के विवादों में घिरे महाराष्ट्र के अध्यक्ष को बदला जाएगा तो दिल्ली, गुजरात आदि राज्यों में भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है।

वैसे चर्चा तो राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को बदले जाने की भी है लेकिन इसी साल चुनाव हैं इसलिए बदलाव आसान नहीं होगा। हालांकि सचिन पायलट के साथ समझौता फॉर्मूले के तहत अध्यक्ष बदले जाने की बात हो सकती है। बहरहाल, महाराष्ट्र के अध्यक्ष नाना पटोले को हटाए जाने की चर्चा है। कांग्रेस के अंदर तो उनका विरोध है ही सहयोगी पार्टियों- एनसीपी और उद्धव ठाकरे गुट भी उनका विरोध कर रहा है। बहरहाल, गुजरात में चुनाव से कुछ दिन पहले ही जगदीश ठाकौर को अध्यक्ष बनाया गया था। चुनाव हारने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया है। उनकी जगह नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

पश्चिम बंगाल में अधीर रंजन चौधरी अध्यक्ष हैं और वे लोकसभा में कांग्रेस के भी नेता हैं। उनकी जगह राज्य में नया अध्यक्ष नियुक्त हो सकता है। दिल्ली में नगर निगम में पार्टी की बुरी हार के बाद से प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी को हटाए जाने की चर्चा है। दिल्ली में कांग्रेस को वापसी की संभावना दिख रही है इसलिए जल्दी ही नया अध्यक्ष नियुक्त हो सकता है। इनके अलावा उत्तराखंड, त्रिपुरा, झारखंड आदि राज्यों में भी अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा है। हालांकि यह तय नहीं है कि कांग्रेस में बदलाव एक साथ होगा या किश्तों में चलता रहेगा।

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