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कृषि कानून पर सरकार व कोर्ट रिपोर्ट

ByNI Political,
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कृषि कानून पर सरकार व कोर्ट रिपोर्ट
केंद्रीय कृषि कानूनों और उसके विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों की जो कमेटी बनाई थी, उसकी रिपोर्ट जारी करने का समय आ गया है। कमेटी की एक सदस्य अनिल घनवत ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिख कर कहा है कि वह रिपोर्ट सार्वजनिक करे या सरकार को भेजे ताकि किसानों की समस्या का समाधान निकले। उन्होंने बहुत विस्तार से चिट्ठी लिखी है, जिसमें कहा है कि वे इस बात से बहुत आहत हैं कि इतना समय बीत जाने के बाद भी किसानों का आंदोलन चल रहा है और उसका कोई समाधान नहीं निकल रहा है। (Kishan andolan court report) गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के बनाए तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी थी और 12 जनवरी को अशोक गुलाटी, प्रमोद कुमार जोशी और अनिल घनवत की कमेटी बनाई थी। घनवत इस कमेटी में किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के संगठन और किसानों ने इस कमेटी के सामने जाकर अपना पक्ष नहीं रखा फिर भी कमेटी ने देश के अनेक किसान संगठनों और दूसरे जानकारों के साथ बातचीत करके सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई दो महीने की समय सीमा से पहले ही 19 मार्च को अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी। court Read also लेफ्ट को छोड़ ममता के साथ कांग्रेस उसके बाद करीब छह महीने से यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पड़ी है। न तो अदालत ने इस पर कार्रवाई करने की पहल की है और न केंद्र सरकार ने कोई पहल की है। सोचें, केंद्र सरकार को इस कानून की इतनी जल्दी थी कि उसने अध्यादेश के जरिए कानून लागू किया और अब पिछले आठ महीने से उस कानून पर रोक लगी लेकिन सरकार को रोक हटवाने की कोई चिंता नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार इस कानून को लेकर कितनी गंभीर है! बहरहाल, घनवत की चिट्ठी के बाद अब सुप्रीम कोर्ट और सरकार दोनों की जिम्मेदारी है कि वे रिपोर्ट को सार्वजनिक करें और जो भी कार्रवाई करनी है वह जल्दी करें। हालांकि इससे किसान अपना आंदोलन नहीं खत्म करेंगे लेकिन हो सकता है कि आगे बढ़ने का कोई रास्ता निकले।
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