जब प्रतीकों की राजनीति में भाजपा बनाम कांग्रेस की बात चली है तो छह फरवरी को लता मंगेशकर के निधन के दौरान भी दोनों पार्टियों का जैसा आचरण रहा उससे भी फर्क पता चलता है। भाजपा ने इस मौके पर भी प्रतीकात्मक राजनीति में बाजी मारी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश और गोवा दोनों जगह वर्चुअल रैली थी, लेकिन उन्होंने गोवा वाली रैली रद्दी की और शाम में लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने मुंबई भी पहुंचे। यह अलग बात है कि वे अंतिम संस्कार तक नहीं रूके और सिर्फ फूल चढ़ा कर लौट गए। उधर पार्टी ने लखनऊ में संकल्प पत्र यानी घोषणापत्र जारी करने का कार्यक्रम टाल दिया। अमित शाह सहित सारे नेता मंच पर पहुंचे, दो मिनट का मौन रख कर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी और कहा कि संकल्प पत्र बाद में जारी होगा। lata mangeshkar pass away
दूसरी ओर कांग्रेस ने क्या किया? तय कार्यक्रम के हिसाब से राहुल गांधी पंजाब के लुधियाना गए और वहां मंच से चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाने का ऐलान किया। मंच पर कांग्रेस ने भी मौन रख कर लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी लेकिन कार्यक्रम अपने हिसाब से हुआ। राहुल गांधी भी अगर इस कार्यक्रम को एक दिन टाल देते तो कोई आफत नहीं आ रही थी। रैली वर्चुअल ही थी इसलिए महीनों की तैयारी करके एक जगह लोगों को रैली के लिए इकट्ठा नहीं किया गया था।
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कायदे से कांग्रेस को भी अपना कार्यक्रम रद्द करना चाहिए था और राहुल गांधी को मुंबई जाना चाहिए था। मुंबई के शिवाजी पार्क में कांग्रेस का कोई नेता नहीं दिखा। लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार का कार्यक्रम पूरी तरह से शिव सेना, एनसीपी और भाजपा का कार्यक्रम दिख रहा था। प्रधानमंत्री वहां पहुंचे थे और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस भी उनके साथ थे। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार, अजित पवार, सुप्रिया सुले, राज ठाकरे, पीयूष गोयल सब वहां मौजूद थे। या तो भाजपा, शिव सेना, एनसीपी के नेता थे ये फिल्म जगत के लोग। लता मंगेशकर एक राष्ट्रीय प्रतीक हैं, उनके अंतिम संस्कार को समान रूप से पूरे देश में देखा गया।
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