भारत सरकार में कुछ भी संभव है और वह भी चोरी-छिपे नहीं, बल्कि डंके की चोट पर। भारत सरकार ने लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने का मोराटोरियम लगाया है। इसके तहत बैंक के ग्राहक एक महीने तक 25 हजार से ज्यादा रुपए नहीं निकाल पाएंगे। इसके साथ ही सरकार ने तय किया है कि लक्ष्मी विलास बैंक का विलय डीबीएस बैंक में किया जाएगा। यह हैरान करने वाला फैसला है। इसका कारण यह है लक्ष्मी विलास बैंक बहुत ब़ड़ा है, जबकि डीबीएस बहुत छोटा बैंक है और सिंगापुर का है।
भारत में लक्ष्मी विलास बैंक की पांच सौ से ज्यादा शाखाएं हैं, जिनमें करीब चार हजार कर्मचारी काम करते हैं। इसके उलट भारत में कारोबार शुरू करने के बाद पिछले 20-25 साल में डीबीएस बैंक की सिर्फ 25 शाखाए हैं और कर्मचारियों की संख्या लक्ष्मी विलास के मुकाबले एक चौथाई से भी कम है। सोचें, सरकार चार गुना बड़े बैंक लक्ष्मी विलास का विलय डीबीएस में करने जा रही है। एक तथ्य यह भी है कि पिछले दिनों हुए कई खुलासों में डीबीएस बैंक के जरिए संदिग्ध लेन-देन का पता चला है। इसकी जांच कराने और डीबीएस के बाकी सारे लेन-देन की भी निगरानी करने की बजाय सरकार दशकों पुराने लक्ष्मी विलास बैंक का विलय उसमें कर रही है।
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