कांग्रेस पार्टी के 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने कई मांगों के साथ साथ एक मांग यह भी रखी है कि प्रखंड स्तर से लेकर कांग्रेस कार्य समिति के सदस्यों तक के चुनाव कराए जाएं। कांग्रेस के ये नेता संगठन का कायाकल्प करने के लिए सांगठनिक चुनावों को एकमात्र विकल्प के तौर पर पेश कर रहे हैं। पर उसी चिट्ठी में इन्हीं नेताओं ने संगठन के चुनावों का विरोध भी किया है। इसमें कहा गया है कि यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई आदि के राज्यों में हुए चुनावों में पैसे और पावर का खेल हुआ था।
गौरतलब है कि राहुल गांधी यह आइडिया लेकर आए थे पार्टी संगठन का चुनाव कराया जाए। उन्होंने प्रयोग के तौर पर यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के पदाधिकारियों का चुनाव करवाया था। ज्यादातर राज्यों में पार्टी के बड़े नेताओं ने अपने बेटे-बेटियों या अपने करीबियों को इस चुनाव में जितवा दिया था। सामान्य कार्यकर्ताओं को या तो नामांकन से रोका गया या बाद में अंधाधुंध पैसे खर्च करके अपने लोगों को जितवाया गया। यह तब की बात है, जब कांग्रेस सत्ता में थी। कांग्रेस नेताओं की चिट्ठी में इसका जिक्र है कि पार्टी संगठन के चुनावों में पैसे और पावर का दुरुपयोग हुआ और बड़े नेताओं ने अपने लोगों को चुनाव जितवाए। अब सवाल है कि अगर प्रखंड और जिला स्तर पर या राज्य के स्तर पर संगठन के चुनाव होंगे तो इस बात की क्या गारंटी होगी कि पार्टी के पहले से स्थापित और बड़े नेता या पैसे वाले अपने लोगों को चुनाव नहीं जितवा लेंगे? सो. जाहिर है कि इसे और इस तरह के कई और सुझावों को लेकर पार्टी के नेता खुद ही भरोसे में नहीं हैं।
चुनाव चाहने वाले खुद चुनाव विरोधी
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