मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि भाजपा की ओर से कांग्रेस विधायकों को 25 से 30 करोड़ रुपए का ऑफर दिया जा रहा है और उनको तोड़ने का प्रयास हो रहा है। यह मामूली आरोप नहीं है। असल में इस महीने के अंत में होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले इस तरह के प्रयास हो रहे हों तो हैरानी की बात नहीं होगी। 26 मार्च को राज्य की तीन लोकसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। कमलनाथ सरकार का भविष्य इस चुनाव से जुड़ गया है। अगर कांग्रेस अपनी संख्या के दम पर दो सीटें जीत लेती है तो इससे सरकार को नया जीवनदान मिलेगा। लेकिन अगर भाजपा दो सीटें जीतती है तो सरकार का गिरना तय हो जाएगा।
फिलहाल सरकार का पलड़ा भारी दिख रहा है क्योंकि सरकार के पास राज्य की 230 सदस्यों की विधानसभा में 121 का समर्थन है। इसमें कांग्रेस के अपने 114 विधायक हैं। इनके अलावा बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी सरकार को है। दूसरी ओर भाजपा के पास 107 विधायक हैं, जिनमें से दो विधायकों- नारायण त्रिपाठी और शरद कोल का समर्थन कांग्रेस को मिल सकता है। दो सीटें खाली हैं।
सो, मौजूदा 228 की संख्या के हिसाब से राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 58 वोट की जरूरत है। कांग्रेस के पास चूंकि 121 का समर्थन है इसलिए उसे आसानी से दो सीटें मिलनी चाहिए। अगर भाजपा दूसरी सीट जीतना चाहती है तो उसे कम से कम नौ सीटों का इंतजाम करना होगा, जो मौजूदा हालात में मुश्किल लग रहा है। ध्यान रहे मध्य प्रदेश से कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और भाजपा के प्रभात झा व सत्यनारायण जटिया रिटायर हो रहे हैं।
मप्र सरकार का भविष्य राज्यसभा चुनाव से जुड़ा
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