अगले पांच महीने में मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और वहां भाजपा के लिए वैसे ही स्थिति है, जैसी पिछले एक साल से कर्नाटक में थी। भाजपा पिछले करीब एक साल से दुविधा में थी कि मुख्यमंत्री बदले या नहीं। जब यह तय हो गया कि मुख्यमंत्री नहीं बदला जाएगा तब दुविधा थी कि प्रदेश अध्यक्ष बदलें या नहीं। कर्नाटक में चुनाव के दो महीने पहले तक यह चर्चा होती रही कि प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील को बदला जाएगा। लेकिन न मुख्यमंत्री बदला गया और प्रदेश अध्यक्ष। इसी तरह की दुविधा भाजपा के सामने पिछले कुछ महीनों से मध्य प्रदेश को लेकर है। कर्नाटक की तरह ही यह लगभग तय हो गया है कि पार्टी मुख्यमंत्री नहीं बदल रही है। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ही पार्टी चुनाव लड़ेगी। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष का क्या होगा?
मध्य प्रदेश में भाजपा की कमान खजुराहो के सांसद वीडी शर्मा के हाथ में है। उनको फरवरी 2020 में पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था और तीन साल का उनका कार्यकाल फरवरी में पूरा हो गया। लेकिन उससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल का विस्तार कर दिया गया और इसके साथ ही ज्यादातर राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों को बदलने का काम भी रोक दिया गया। मध्य प्रदेश और राजस्थान में साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं इसलिए कहा जा रहा था कि जैसे राजस्थान में सतीश पूनिया की जगह सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया गया उसी तरह मध्य प्रदेश में भी वीडी शर्मा की जगह नया अध्यक्ष बनेगा। लेकिन सोचते सोचते समय बीत गया और अब चुनाव में चार-पांच महीने का समय बचा है। तभी यह सवाल है कि कर्नाटक की तरह मध्य प्रदेश में भी अंत में पार्टी मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष बदले बगैर चुनाव में जाएगी या अब भी बदलाव हो सकता है?