मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि राज्य में 28 सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में उनकी लड़ाई सिर्फ भाजपा से नहीं है, बल्कि राज्य की सरकार और चुनाव आयोग से भी है। कमलनाथ ने जिस दिन यह बात कही उसके दो दिन बाद ही आयोग ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई का ऐलान कर दिया। हालांकि यह कार्रवाई उनके आयोग पर दिए बयान की वजह से नहीं हुई है, बल्कि भाजपा नेताओं के ऊपर दिए गए बयानों के लिए हुई है। कमलनाथ ने राज्य सरकार की एक महिला मंत्री को ‘आइटम’ कह दिया था। उसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नौटंकी कहा था। सो, आयोग ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनका स्टार प्रचारक का दर्जा खत्म कर दिया। इसका नुकसान यह है कि अब उनके प्रचार का खर्च उम्मीदवार के खर्च में जुड़ेगा।
आयोग के इस फैसले के बावजूद कमलनाथ ने कहा कि वे प्रचार करने जाएंगे और देखते हैं उन्हें कौन रोकता है। लेकिन इस बीच आयोग की कार्रवाई को लेकर सवाल उठने लगे हैं। यह संभवतः पहला मामला है, जब चुनाव आयोग ने इस किस्म की कार्रवाई की है। इससे पहले ज्यादा से ज्यादा चेतावनी दी जाती थी। अब भी मध्य प्रदेश के भाजपा नेताओं को आयोग ने चेतावनी देकर ही छोड़ दिया है। लोकसभा चुनाव के प्रचार के समय भाजपा के शीर्ष नेताओं सहित कई नेताओं के खिलाफ 30-30 शिकायतें मिली थीं पर आयोग ने या तो सबमें क्लीन चिट दे दी या चेतावनी देकर छोड़ दिया। शायद ही कोई मामला था, जिसमें आयोग ने नेता की निंदा की। लेकिन कमलनाथ को चेतावनी देने, आलोचना करने और उससे भी आगे स्टार प्रचार का दर्जा खत्म कर देने की कार्रवाई हुई है। हो सकता है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष हो पर उसे निष्पक्ष दिखना भी चाहिए।