महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रही शिव सेना ऐसा भ्रमजाल रच रही है कि देश के सबसे चतुर सुजान नेता माने गए शरद पवार से लेकर भाजपा के घाघ रणनीतिकारों तक को समझ में नहीं आ रही है कि आखिर शिव सेना चाहती क्या है? शिव सेना के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत गीते का शरद पवार पर हमला मामूली नहीं है। गीते ने शरद पवार को पीठ में छुरा घोंपने वाला बताया और कहा कि वे शिव सैनिकों के नेता नहीं हो सकते। उन्होंने यह भी कहा कि वे जब कांग्रेस के साथ नहीं रह सके तो शिव सेना के साथ क्या रहेंगे? Maharashtra shivsena sharad pawar
संजय राउत ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि यह पार्टी का बयान नहीं है। उन्होंने पवार की तारीफ की और कहा कि वे राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार के मुख्य स्तंभ हैं। कुछ ही दिन पहले पवार ने जब कांग्रेस को निशाना बनाया था और उसे ऐसा जमींदार कहा था, जिसके पास सिर्फ पुरानी हवेली बची है फिर भी वह समझने को तैयार नहीं है, तब शिव सेना ने उनका पक्ष लिया था। सोचें, एक तरफ एनसीपी-कांग्रेस के टकराव में एनसीपी का पक्ष लेना और फिर एनसीपी सुप्रीमों पर निजी हमला करना, क्या इससे भ्रम नहीं पैदा हो रहा है?
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महाविकास अघाड़ी की तीनों पार्टियों के इस उलझे रिश्ते के अलावा शिव सेना और भाजपा के बीच क्या चल रहा है वह भी बहुत बड़ा रहस्य है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री राव साहेब दानवे की ओर इशारा करके भाजपा को भावी सहयोगी बताया। उसके बाद संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा यह कहा कि देश में कोई नेता उनके कद का नहीं है। एक तरफ भाजपा के साथ ऐसा प्रेम प्रदर्शन है तो दूसरी ओर ऐसी लड़ाई है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने चिट्ठी लिख कर राज्य में कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उन पर ऐसा हमला किया, जैसा संभवतः किसी सरकार ने किसी राज्यपाल पर नहीं किया होगा।
इसी तरह तमाम केंद्रीय एजेंसियां शिव सेना के नेताओं और मंत्रियों के पीछे पड़ी हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की जांच की वजह से गृह मंत्री रहे अनिल देशमुख को इस्तीफा देना पड़ा था और वे गिरफ्तारी से बचने के लिए भागे फिर रहे हैं। उसी मामले में शिव सेना के नेता और पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा जेल में बंद हैं। केंद्रीय एजेंसियां एक दूसरे शिव सेना नेता अनिल परब के पीछे पड़ी हैं। भाजपा के सांसद किरीट सोमैया ने अनिल परब पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, जिसके बाद परब ने उनके ऊपर एक सौ करोड़ रुपए का मानहानि का मुकदमा किया है। एक तरफ शिव सेना की यारी-दोस्ती और दूसरी ओर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई और भाजपा नेताओं के हमले! ऐसा लग रहा है कि अगले साल के शुरू में होने वाले नगर निगम चुनावों से पहले राज्य में कुछ उलटफेर होगा। क्या होगा और कैसे होगा यह अभी साफ नहीं है लेकिन जिस तरह का घटनाक्रम चल रहा है उससे किसी गहरी व्यूह रचना की बू आ रही है।
शिव सेना आखिर चाहती क्या है?
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