
भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में असम की कहानी दोहराने की तैयारी में है। ध्यान रहे मार्च में असम में राज्यसभा की दो सीटों के चुनाव हुए थे और दोनों सीटें भाजपा ने जीत ली थी। संख्या होने के बावजूद कांग्रेस का उम्मीदवार चुनाव हार गया था। इसे लेकर कांग्रेस और उसकी सहयोगी एआईयूडीएफ के बीच खूब तकरार भी हुई। उस चुनाव में विपक्षी गठबंधन के नौ विधायकों ने क्रास वोटिंग की। ऐसा ही खेल इस बार महाराष्ट्र में हो सकता है। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में खाली हो रही अपनी तीनों सीटें बचाने का प्रयास कर रही है। ध्यान रहे महाराष्ट्र में छह सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें से तीन भाजपा की हैं।
राज्यसभा में सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, विनय सहस्त्रबुद्धे और विकास महात्मे रिटायर हो रहे हैं। इस बार की गणित के मुताबिक भाजपा को दो सीटें आसानी से मिल रही हैं। विधानसभा में भाजपा में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के पास 113 की संख्या है। 288 सदस्यों की विधानसभा में एक सीट जीतने के लिए इस बार 41 वोट की जरूरत है। इस लिहाज से दो सीट जीतने के बाद भाजपा के पास 31 वोट बूचते हैं। उसे तीसरी सीट जीतने के लिए 10 अतिरिक्त वोट का इंतजाम करना होगा। अन्य की पांच सीटें हैं लेकिन उनमें दो ओवैसी की पार्टी एमआईएम की है और एक सीपीएम की है। मनसे और स्वाभिमान पक्ष की दो सीटें हैं, जो भाजपा के साथ जा सकती हैं। फिर भी भाजपा को आठ वोट चाहिए।
दूसरी ओर शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी सरकार के पास 169 विधायक हैं। इस लिहाज से चार सीट जीतने के लिए उनके पास पर्याप्त संख्या है। लेकिन गठबंधन की तीनों बड़ी पार्टियों के अलावा 16 विधायक छोटी पार्टियों के हैं या निर्दलीय हैं। भाजपा उनमें सेंध लगाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस के भी कुछ विधायकों से क्रास वोटिंग कराने की योजना है। सरकार के नेता, मंत्री इससे आशंकित हैं। गठबंधन की तीनों पार्टियों को एक-एक सीट मिलनी है। चौथी सीट शिव सेना लड़ती है तो उसे प्रबंधन करना होगा और अगर तीनों पार्टियां मिल कर किसी को निर्दलीय उतारती हैं तो सबको मिल कर प्रबंधन करना होगा।