महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन महा विकास अघाड़ी की सरकार उलटी गंगा बहाने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार ऐसा बिल ला रही है, जिसमें इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन की बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराने का प्रावधान किया जा रहा है। वैसे दुनिया के कई देशों में ऐसी उलटी गंगा बहाई जा चुकी है। अमेरिका सहित दुनिया के कई विकसित देशों ने ईवीएम से वोटिंग कराने के बाद उसे कूड़ेदान में डाल दिया और बैलेट से चुनाव कराने लगे। भारत में ईवीएम से वोटिंग में गड़बड़ी के आरोप काफी समय से विपक्षी पार्टियां लगाती रही हैं। पहली बार महाराष्ट्र सरकार ने इस प्रक्रिया को पलटने का फैसला किया है।
राज्य सरकार के विधेयक के मुताबिक स्थानीय निकाय चुनाव और कुछ जगहों पर विधानसभा चुनाव भी बैलेट से कराने का प्रावधान किया जा रहा है। स्थानीय निकायों के चुनाव कई जगह अब भी बैलेट से ही होते हैं। इसलिए ऐसा होना कोई नई बात नहीं है। पर विधानसभा चुनाव के बारे में तो फैसला चुनाव आयोग को करना है। ऐसे में विधानसभा के बनाए कानून को चुनौती मिल सकती है। पर सवाल है कि क्या विपक्षी पार्टियां सचमुच ईवीएम की वजह से हार रही हैं या भाजपा आक्रामक सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति की वजह से जीत रही है? हाल ही में भाजपा हैदराबाद सहित कई स्थानीय निकायों में चुनाव जीती है, जहां बैलेट से वोटिंग हुई थी। इसलिए विपक्ष को ईवीएम पर फोकस करने की बजाय अपने संगठन, अपनी नीतियों, कामकाज और गठबंधन पर फोकस करना चाहिए।
महाराष्ट्र के नेताओं की उलटी गंगा!
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