महाराष्ट्र में अद्भुत सियासी ड्रामा चल रहा है। किसी को पता नहीं है कि कौन किसके साथ है। मजेदार बात यह है कि कई नेता तो यहां तक कह रहे हैं कि उन्हें कुछ पता ही नहीं है कि क्या हो रहा है। सोचें, सारा देश और लगभग आधी दुनिया को पता है कि महाराष्ट्र के विधायक असम की राजधानी गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल में ठहरे हैं। रूम नंबर तक लोगों को पता है लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा कह रहे हैं कि उनको नहीं पता है कि महाराष्ट्र के विधायक उनके राज्य में ठहरे हैं। नेता लोग देश की जनता को किस दर्जे का बेवकूफ समझते हैं, उसे इस बात से समझा जा सकता है।
बहरहाल, पहले सरकार चला रहे महाविकास अघाड़ी की बात करें तो शिव सेना ने अपने बागी विधायकों से कहा कि वे वापस लौट आएं तो शिव सेना गठबंधन से अलग हो जाएगी। इसके बावजूद एनसीपी और कांग्रेस ने बुरा नहीं माना। दोनों पार्टियों ने कहा कि वे पूरी ताकत के साथ शिव सेना के साथ खड़े हैं। सोचें, शिव सेना कह रही है कि वह एनसीपी और कांग्रेस से अलग हो सकती है लेकिन एनसीपी और कांग्रेस के लोग कह रहे हैं कि वे शिव सेना के साथ हैं।
उधर शिव सेना के बागी विधायकों ने पहले पार्टी के खिलाफ बगावत की लेकिन अब शिव सेना और उसके प्रमुख उद्धव ठाकरे की बजाय बागी विधायक एनसीपी के नेता शरद पवार पर निशाना साधने लगे हैं। उनका कहना है कि वे उन्हें शिव सेना और उद्धव ठाकरे से कोई शिकायत नहीं है। उन्हें एनसीपी और कांग्रेस से दिक्कत है। यानी वे शिव सेना के साथ हैं पर एनसीपी और कांग्रेस के साथ नहीं हैं। क्या वे भाजपा के साथ हैं? इसका जवाब भी कोई खुल कर नहीं दे रहा है। भाजपा के नेता इस बात से इनकार कर रहे हैं कि उन्होंने शिव सेना में बगावत कराने में कोई भूमिका निभाई है
सोचें, शिव सेना के बागी विधायक महाराष्ट्र से निकल कर भाजपा शासित गुजरात गए और वहां और से उनको भाजपा के शासन वाले दूसरे राज्य असम ले जाया गया। असम में जिस होटल में बागी विधायक ठहरे वहां असम पुलिस की जबरदस्त घेराबंदी की गई। सबको पता है कि भाजपा के नेता चार्टर्ड विमानों का इंतजाम कर रहे हैं और भाजपा के नेता ही बागी विधायकों के साथ आ-जा रहे हैं। पर भाजपा कह रही है कि उसका इससे कोई लेना-देना नहीं है और दूसरी ओर बागी विधायक भी कह रहे हैं कि उनके होटल और विमान का बिल भाजपा नहीं भर रही है, बल्कि एकनाथ शिंद भर रहे हैं। इस तरह से उनका कहना है कि वे भाजपा के साथ भी नहीं हैं। शिव सेना ने सिर्फ 16 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए नोटिस जारी कराया है। इसका मतलब क्या बाकी बागी विधायक अभी पार्टी के साथ हैं? कहा जा रहा है कि अनेक विधायकों के परिवार के लोग शिव सेना के संपर्क में हैं। यानी विधायक शिव सेना से बागी होकर भाजपा के साथ हैं और उनके परिजन शिव सेना के साथ हैं।
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