शरद पवार ने अपने को राष्ट्रीय राजनीति से दूर किया है। वे विपक्ष को एकजुट करने के अभियान में शामिल नहीं है क्योंकि उनके लिए महाराष्ट्र की राजनीति और अपनी पार्टी के संगठन को संभालना पहली चिंता बन गई है। पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता और उनके भतीजे अजित पवार ने जिस तरह की राजनीति की है, उससे शरद पवार की चिंता बढ़ी है। अजित पवार की उम्र 64 साल हो गई है और वे मान रहे हैं कि अभी या अगली बार मुख्यमंत्री नहीं बने तो फिर कभी नहीं बनेंगे। शरद पवार खुद 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे। अजित पवार उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं और अभी महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष हैं। वे और उनके करीबी नेता किसी तरह से एनसीपी पर पूरा नियंत्रण चाहते हैं। उनको लग रहा था कि पवार सीनियर खुद से उनको कमान सौंप देंगे लेकिन ऐसा लग रहा है कि वे अपनी बेटी सुप्रिया सुले को कमान देना चाहते हैं, जैसे बाल ठाकरे ने उद्धव को दिया था।
इस संभावना को भांप कर अजित पवार ने मुख्यमंत्री बनने या अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी की ओर से सीएम का चेहरा बनने के प्रयास कर रहे हैं। उनके इस प्रयास के तहत ही उनकी पार्टी के बड़े नेता जितेंद्र पाटिल ने कहा है कि अगला मुख्यमंत्री एनसीपी का होगा। एक तरफ पवार जूनियर की यह महत्वाकांक्षा है और दूसरी ओर शरद पवार का नियंत्रण बनाए रखने का प्रयास है। तभी कहा जा रहा है कि शरद पवार पार्टी संगठन में बड़ा बदलाव करने जा रहे हैं और उसमें अजित पवार का कद कम हो सकता है। पिछले दिनों उन्होंने नेतृत्व में बदलाव का स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि भाखरी यानी रोटी को तवे पर पलटना पड़ता है वरना वह जल जाती है। उन्होंने यह भी कहा था कि अब भाखरी को पलटने का समय आ गया है, इसमें देरी नहीं की जा सकती है। इसके बाद अजित पवार ने कहा कि नए चेहरों को आगे लाना एनसीपी की परंपरा रही है। सो, यह देखना दिलचस्प होगा कि शरद पवार कौन से नए चेहरे आगे लाते हैं।