राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शरद पवार के परिवार की अंदरूनी राजनीति को लेकर कई रहस्य खुल रहे हैं और अब अजित पवार व उनके करीबी खुल कर कहने लगे हैं कि शरद पवार ने हर बार अपने भतीजे यानी अजितदादा को मुख्यमंत्री बनने से रोका है। एक बार की कहानी खुद अजित पवार ने बताई थी और दूसरी कहानी उनके करीबी बता रहे हैं। अजित पवार ने कहा था कि 2004 में एनसीपी का मुख्यमंत्री बन सकता था क्योंकि उस चुनाव में 71 सीट के साथ एनसीपी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। तब कांग्रेस को 69 सीटें मिली थीं। एनसीपी 58 से बढ़ कर 71 हुई थी, जबकि कांग्रेस 75 से घट कर 69 पर आ गई थी। उस समय शरद पवार केंद्र सरकार में मंत्री बन गए थे। अजित पवार का कहना है कि पता नहीं किन हालात में उनके चाचा ने समझौता किया कि कांग्रेस का ही मुख्यमंत्री बनेगा। माना जा रहा है कि अजित पवार को सीएम बनने से रोकने के लिए शरद पवार ने ऐसा किया।
अब दूसरी कहानी 2019 के चुनाव के बाद की है, जो अजित पवार के समर्थक सुना रहे हैं। उनका कहना है कि शिव सेना और एनसीपी की सीटें बराबर थीं, जबकि कांग्रेस को उनसे 10 सीटें कम थीं। कांग्रेस के नेता इस बात को लेकर बहुत सहज नहीं थे कि वे शिव सेना के नेता उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए समर्थन दें। वे चाहते थे कि एनसीपी का मुख्यमंत्री बने। एनसीपी में भी एक बड़ा खेमा ऐसा था, जो अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहा था। अजित पवार समर्थकों का कहना है कि उद्धव ठाकरे खुद भी मुख्यमंत्री बनने को राजी नहीं थे। वे अपने बेटे आदित्य ठाकरे को उप मुख्यमंत्री बना कर राजी थे। लेकिन शरद पवार ने मेहनत करके उद्धव ठाकरे को मनाया और उनको मुख्यमंत्री बनवाया। अब एक बार फिर अजित पवार पूरे प्रदेश की यात्रा करने और अपने को 2024 में मुख्यमंत्री का दावेदार पेश करने की तैयारी में हैं तो उससे पहले ही शरद पवार ने दूसरा दांव चल दिया है।