अब महाराष्ट्र में क्या कहानी होगी?

पिछले तीन-चार महीने से भाजपा के नेता और सोशल मीडिया में उसके समर्थक दावा कर रहे थे कि बिहार में महाराष्ट्र की कहानी दोहराई जाएगी। यानी जैसे महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रहे शिव सेना को तोड़ कर भाजपा ने उसी के नेता के नेतृत्व में सरकार बना दी वैसा ही कुछ बिहार में होगा। महागठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे जदयू को तोड़ कर  भाजपा के साथ नई सरकार बनाने की बात हो रही थी। बिहार में तो ऐसा कुछ नहीं हुआ उलटे महाराष्ट्र में भाजपा के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई। उसके नेता इस बात से चिंतित हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित शिव सेना के 16 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी तो क्या होगा? सत्तारूढ़ गठबंधन के पास अभी 162 विधायक हैं, इस लिहाज से 16 विधायकों की सदस्यता जाने से भी सरकार अल्पमत में नहीं आएगी क्योंकि उसके बाद सदन 272 विधायकों का हो जाएगा और बहुमत का आंकड़ा घट कर 133 का रह जाएगा।

इसके बावजूद क्या कारण है कि भाजपा के नेता एनसीपी के अजित पवार को पटाने में लगे हैं? क्या कारण है कि संजय राउत दावा कर रहे हैं कि 15 से 20 दिन में सरकार गिर जाएगी? क्या महाराष्ट्र में कोई और कहानी लिखी जा रही है? ध्यान रहे सरकार बचाए रखने के लिए भाजपा को किसी की मदद की जरूरत नहीं है और एकनाथ शिंदे गुट ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर अजित पवार के साथ एनसीपी का एक गुट गठबंधन में आता है तो वे सरकार छोड़ देंगे। ऐसा लग रहा है कि भाजपा के लिए शिंदे की उपयोगिता नहीं रह गई है। भाजपा को अंदाजा हो गया है कि जल्दी ही होने वाले बृहन्नमुंबई महानगर निगम यानी बीएमसी के चुनाव में या अगले साल के लोकसभा चुनाव में शिंदे से उसे फायदा नहीं होगा। उसे फायदा तभी होगा, जब उद्धव ठाकरे वाली शिव सेना उसके साथ रहे या एनसीपी के साथ गठबंधन हो। आखिर भाजपा को महाराष्ट्र की अपनी 23 और एनडीए की 41 लोकसभा सीटों की चिंता है।

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