कांग्रेस में शिव सेना को लेकर संदेह : महाविकास अघाड़ी बनने के बाद कांग्रेस और शिव सेना में कमाल का तालमेल दिखा था। दोनों के नेताओं ने एक दूसरे पर बहुत भरोसा दिखाया था। लेकिन अब वह भरोसा टूटता दिख रहा है। यही कारण है कि दोनों ओर से बयानबाजी शुरू हो गई है। सरकार बनने के थोड़े दिन बाद ही दोनों पार्टियों में अविश्वास पैदा होने लगा था। लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि शिव सेना सांसद संजय राउत की पत्नी को ईडी का नोटिस जाने के बाद ज्यादा बदलाव हुआ है। उसके बाद शिव सेना का रुख भाजपा के प्रति नरम हुआ है। फिर जब उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की तब घटनाक्रम में नया मोड़ आया। इसके तुरंत बाद संजय राउत ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की।
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अब शिव सेना के विधायक प्रताप सरनाईक ने उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिख कर कहा कि केंद्रीय एजेंसियां बहुत परेशान कर रही हैं और इसलिए शिव सेना को भाजपा के साथ तालमेल कर लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एनसीपी और कांग्रेस दोनों शिव सेना को कमजोर कर रहे हैं। कांग्रेस को इन बयानों का मतलब समझ आ रहा है। तभी कांग्रेस नेताओं ने भी अपनी पोजिशनिंग शुरू कर दी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भाई जगताप ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। नाना पटोले ने यह भी कहा कि महाविकास अघाड़ी सिर्फ पांच साल के लिए है। कांग्रेस के अंदर शिव सेना के साथ तालमेल को लेकर भी चिंता है क्योंकि इससे अल्पसंख्यकों के मन में कांग्रेस को लेकर आशंका बढ़ी है।
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सो, एक तरफ बीएमसी चुनाव को लेकर शिव सेना की पोजिशनिंग है तो दूसरी ओर कांग्रेस का अविश्वास है और तीसरा पहलू एनसीपी प्रमुख शरद पवार की राष्ट्रीय राजनीति की तैयारियों का हैं। एनसीपी की तैयारियों ने कांग्रेस को और आशंकित बनाया है। उसको लग रहा है कि पवार गैर कांग्रेस राजनीति की धुरी बन रही है। इन सब कारणों से महाविकास अघाड़ी की राजनीति पटरी से उतरी दिख रही है। कांग्रेस को बीएमसी और महाराष्ट्र चुनाव के साथ साथ बाकी राज्यों के चुनावों का भी ध्यान रखना है।