महाराष्ट्र में अगर विपक्षी पार्टियों के गठबंधन महा विकास अघाड़ी में विवाद चल रहा है और उथलपुथल मची है तो सत्तारूढ़ गठबंधन यानी भाजपा और शिव सेना में भी सब कुछ ठीक नहीं है। उन दोनों पार्टियों में भी शह-मात का खेल चल रहा है। मुंबई सहित महाराष्ट्र के कई शहरों में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री बनाने की मांग वाले पोस्टर लगे हैं। इससे पहले भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित कई नेता कह चुके हैं कि वे फड़नवीस को मुख्यमंत्री की भूमिका में देखना चाहते हैं। जब से सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अटकलें लगनी शुरू हुई हैं और इस बात की चर्चा हुई है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 विधायकों की सदस्यता समाप्त हो सकती है तब से फड़नवीस के फिर मुख्यमंत्री बनने की चर्चा भी शुरू हो गई है।
अगर सचमुच सुप्रीम कोर्ट शुरू में शिव सेना छोड़ने वाले 16 विधायकों की सदस्यता समाप्त करने का फैसला सुनाता है तो शिंदे को इस्तीफा देना होगा। तब उनकी पार्टी में सिर्फ 24 विधायक बचेंगे। फिर भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनवाएगी। देवेंद्र फड़नवीस उसकी स्वाभाविक पसंद होंगे। तभी कहा जा रहा है कि शिंदे और फड़नवीस की भूमिका बदल सकती है। फड़नवीस मुख्यमंत्री और शिंदे की पार्टी का कोई नेता उप मुख्यमंत्री बन सकता है। इन अटकलों पर रोक लगाने के लिए फड़नवीस ने बयान दिया है कि कोई बदलाव नहीं होने वाला है और 2019 का चुनाव शिंदे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हालांकि उनके इस बयान पर किसी को यकीन नहीं होगा क्योंकि शिंदे की कमान ऐसी नहीं है, जिसमें पूरे प्रदेश का चुनाव लड़ा जा सके। उनकी कमान में लड़ कर भाजपा अपनी 23 लोकसभा सीटें नहीं बचा सकती है। इसलिए बदलाव की पूरी संभावना है। सो, अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला खिलाफ नहीं भी आता है तब भी संभव है जून में शिंदे सरकार के एक साल पूरा होने के बाद वे स्वेच्छा से इस्तीफा दें और भाजपा का मुख्मंत्री बने।