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भाजपा को लेकर शिव सेना की दुविधा

ByNI Political,
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भाजपा को लेकर शिव सेना की दुविधा
Maharashtra politics BMC elections शिव सेना के नेताओं ने पिछले दिनों भाजपा के प्रति सद्भाव दिखाया था। पार्टी के सांसद  संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उनको सबसे लोकप्रिय नेता बताया था। दोनों तरफ से कई बार कहा गया कि दोनों पार्टियां अलग हो गई हैं लेकिन संबंध खत्म नहीं हुए हैं। इससे ऐसा लग रहा था कि जल्दी ही दोनों पार्टियों में फिर तालमेल हो सकता है। तभी महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के दिन गिने जाने लगे थे। लेकिन इसी बीच भाजपा ने केंद्र में नारायण राणे को मंत्री बना दिया। Read also कोरोना संक्रमण का हाल ध्यान रहे नारायण राणे साधारण शिव सैनिक थे, जिन्हें बाद में पार्टी ने महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनवाया था। लेकिन वे शिव सेना छोड़ कर पहले कांग्रेस में गए और अब वहां से भाजपा में चले गए हैं। उनके केंद्र में मंत्री बनाए जाने से पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे भी नाराज हैं और पूरी पार्टी भी। तभी कहा जा रहा है कि भाजपा के साथ भविष्य के संबंधों को लेकर शिव सेना अब दुविधा में है। शिव सेना को लग रहा है कि भाजपा के साथ पहले जैसा संबंध अब नहीं हो सकता है। दोनों के बीच जरूरत का संबंध होगा और इसमें भाजपा उसका इस्तेमाल कर सकती है। Read also बाबुल सुप्रियो क्या करेंगे? शिव सेना की दुविधा इस वजह से भी है कि अगले साल मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी का चुनाव होना है। गठबंधन की सहयोगी एनसीपी ने उसको भरोसा दिलाया है कि बीएमसी के चुनाव में वह मुस्लिम वोट की चिंता न करे क्योंकि भाजपा को रोकने के लिए मुस्लिम वोट महाविकास अघाड़ी को मिलेंगे यानी एनसीपी के साथ साथ शिव सेना को भी मिलेंगे। अगर कांग्रेस अलग भी लड़ती है तब भी शिव सेना और एनसीपी फायदे में रहेंगे। तभी शिव सेना इस दुविधा में भाजपा के साथ संबंध सुधारने का सही समय कौन सा है। वह अभी संबंध सुधार करे या बीएमसी चुनावों का इंतजार करे।  
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