महाराष्ट्र के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय गोपनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे ने भाजपा नेतृत्व को मुश्किल में डाला है। उन्होंने पार्टी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वे भाजपा की हैं लेकिन भाजपा उनको अपनी नहीं मानती है यानी भाजपा उनकी नहीं है। इस बयान से महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी हलचल है। बयान के तुरंत बाद एनसीपी के नेता एकनाथ खड़से उनसे मिलने उनके घर पहुंचे। परली में खड़से और मुंडे की मुलाकात हुई। हालांकि मुंडे के सबसे बड़े विरोधी और अपने चचेरे भाई धनंजय मुंडे एनसीपी में हैं इसलिए उनका भी एनसीपी में जाना संभव नहीं है। लेकिन कुछ न कुछ राजनीति जरूर हो रही है। ध्यान रहे खड़से कोई ढाई साल पहले तक भाजपा में थे और प्रदेश के मौजूदा नेतृत्व से नाराज होकर पार्टी छोड़ी थी।
उधर कांग्रेस के नेता बालासाहेब थोराट ने भी मुंडे को कांग्रेस में शामिल होने का न्योता दिया है। हालांकि इसकी भी संभावना कम है। पंकजा के बयान के बीच ही उनकी सांसद बहन प्रीतम मुंडे ने भी पार्टी लाइन से हट कर महिला पहलवानों के आंदोलन का समर्थन किया और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई की मांग की। अब पंकजा ने कहा है कि वे अमित शाह से मिलेंगी और पार्टी में अपनी भूमिका के बारे में बात करेंगी। जाहिर है वे दबाव की राजनीति कर रही हैं। ध्यान रहे विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी ने उनको कुछ नहीं दिया। वे विधान परिषद में जाना चाहती थीं लेकिन मौका नहीं है। तभी सवाल है कि अगर पार्टी उनके दबाव में नहीं आती है तो वे क्या करेंगी? क्या मुंडे बहनें भाजपा छोड़ सकती हैं? अगर ऐसा होता है तो उनका अगला मुकाम क्या होगा? क्या नई पार्टी बनेगी या दोनों उद्धव ठाकरे के साथ जाएंगी?