कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की जीत का एक बड़ा कारण सिद्धरमैया का चेहरा रहा। वे पिछड़ी जाति के मजबूत नेता हैं और उनकी वजह से ओबीसी वोट कांग्रेस के साथ जुड़ा रहा। तभी महाराष्ट्र में भी अब फोकस मराठा वोट से ज्यादा ओबीसी वोट पर बन रहा है और इसी बीच भाजपा को मुंडे बहनों ने झटका दिया है। ध्यान रहे कर्नाटक में भाजपा लिंगायत वोट पर बहुत आश्रित रही थी। वह वोट उसको मिला भी लेकिन वह उससे जीत नहीं सकती है। वैसे भी महाराष्ट्र में सबसे ताकतवर मराठा समुदाय भाजपा के साथ नहीं है। इसलिए उसकी नजर ओबीसी वोट पर है। ध्यान रहे महाराष्ट्र में भाजपा के सबसे कद्दावर ओबीसी नेता गोपीनाथ मुंडे थे। उनके दुर्भाग्यपूर्ण निधन के बाद उनकी बेटी पंकजा मुंडे चुनाव लड़ीं और जीत कर महत्वपूर्ण मंत्री बनीं। उनकी दूसरी बहन प्रीतम मुंडे ने लोकसभा का चुनाव जीता।
एक तरह से ये दोनों बहनें भाजपा में ओबीसी चेहरा हैं। पर पिछले विधानसभा चुनाव में गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे पाला बदल कर एनसीपी के साथ चले गए और उन्होंने पंकजा को हरा दिया। उसके बाद से पार्टी ने पंकजा को कुछ दिया नहीं है और वे नाराज चल रही हैं। कर्नाटक के नतीजों के बाद उनकी नाराजगी मुखर हो गई है। उन्होंने कहा है कि वे भाजपा की हैं लेकिन भाजपा उनकी नहीं है। जिस दिन उन्होंने यह बात कही उसी दिन उनकी बहन प्रीतम मुंडे ने दिल्ली में धरना देने वाली महिला पहलवानों का समर्थन किया और यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई की मांग की। अब लोकसभा चुनाव का अभियान शुरू हो गया है और ऐसे में मुंडे बहनों की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ सकती है।