कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार नहीं चला रही है, नीतिगत फैसले नहीं कर रही है, बल्कि सरकार को समर्थन दे रही है। इसके बाद सियासी हलचल तेज हुई और दस तरह की व्याख्या शुरू हुई तो फिर सफाई देते हुए कहा कि मीडिया ने उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया और फिर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन करके उनकी सरकार को मजबूती से समर्थन देते रहने का भरोसा दिलाया।
सवाल है इतना बड़ा घालमेल कैसे हुआ? क्या राहुल इसके जरिए कोई मैसेज देना चाह रहे थे या अपने अज्ञान में उन्होंने यह बात कही थी? कई जानकार पत्रकार इसे राहुल का बचपना मान रहे हैं। तभी एक बड़ी महिला पत्रकार ने कहा कि राहुल के पास राजनीतिक शार्पनेस नहीं है। पर असल में ऐसा नहीं है। कांग्रेस के जानकार नेताओं का कहना है कि राहुल ने जान बूझकर यह बात कही थी। वे महाराष्ट्र सरकार और दिल्ली में बैठे कांग्रेस नेताओं के बीच मध्यस्थ बने लोगों को कुछ मैसेज देना चाहते थे।
असल में कांग्रेस के कई नेता और खास कर राहुल के करीबी इन दिनों इस बात से परेशान हैं कि इन दिनों महाराष्ट्र सरकार की तरह से दिल्ली में लॉबिंग का काम कांग्रेस छोड़ कर शिव सेना में गईं और हाल ही में राज्यसभा सांसद बनी प्रियंका चतुर्वेदी कर रही हैं। उनके साथ चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी शामिल हैं। यानी प्रियंका और प्रशांत की जोड़ी दिल्ली में शिव सेना के लिए लॉबिंग कर रही है और ये दोनों कांग्रेस के कई नेताओं के सीधे संपर्क में हैं। बताया जा रहा है कि इन दोनों ने ही अपने एक खास पत्रकार से यह सवाल राहुल गांधी के सामने रखवाया था। इनको लगा था कि राहुल इस पर सकारात्मक बात कहेंगे और महाराष्ट्र में चल रही सियासी हलचल में उससे उद्धव को ताकत मिलेगी। राहुल के बयान से एनसीपी और भाजपा दोनों को बैकफुट पर लाना था। पर राहुल इस बात को भांप गए और उन्होंने बिल्कुल उलटा जवाब दे दिया। फिर बाद में सफाई देकर और सीधे उद्धव ठाकरे से बात करके स्थिति भी स्पष्ट कर दी। सो, अब दिल्ली में प्रियंका और प्रशांत की जोड़ी का भाव कम से कम कांग्रेस नेताओं के आगे कम हुआ है।
राहुल का जवाब और फिर सफाई!
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