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वैसे पवार की पार्टी तोड़ना आसान नहीं

यह लाख टके का सवाल है कि क्या अजित पवार सत्ता के लालच में अपने चाचा शरद पवार की बनाई पार्टी को तोड़ भी सकते है? उन्होंने अक्टूबर 2019 में इसकी कोशिश की थी लेकिन नाकाम रहे थे। भाजपा की मदद से उन्होंने इसका प्रयास किया था और भाजपा ने उनको उप मुख्यमंत्री बना दिया था। उसके बाद भी शरद पवार ने उनका खेल पलट दिया। हालांकि अब देवेंद्र फड़नवीस कह रहे हैं कि उस समय अजित पवार ने जो पहल की थी उसे शरद पवार का समर्थन हासिल था। बहरहाल, चाहे पवार सीनियर का समर्थन रहा हो या नहीं रहा हो, उस समय के घटनाक्रम से यह साबित हुआ कि अजित पवार के लिए एनसीपी तोड़ना नामुमकिन की हद तक मुश्किल है।

गौरतलब है कि एनसीपी अभी राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी है और अजित पवार नेता विपक्ष हैं। पार्टी के 53 विधायक हैं। इसका मतलब है कि पार्टी तोड़ने के लिए कम से कम 36 विधायकों की जरूरत होगी। अब जबकि यह योजना खुल कर सामने आ गई है, इसकी चर्चा होने लगी है और शरद पवार अलर्ट हो गए हैं। कहते है  अजित पवार के इरादे के खटके से शरद पवार और सुप्रिया सुले उनसे नाराज हैं। कहा जा रहा है कि पवार अपनी पार्टी के विधायकों को समझा रहे हैं कि महा विकास अघाड़ी का भविष्य है। अगला चुनाव अब दूर नहीं है और उसमें अघाड़ी की तीनों पार्टियां साथ मिल कर लड़ेंगी तो भाजपा और शिंदे गुट के लिए मौका नहीं होगा। महाराष्ट्र की राजनीति के स्थानीय जानकार मान रह हैं कि अगर शरद पवार नहीं चाहेंगे तो उनकी पार्टी नहीं टूटेगी।

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