कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को उच्च सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कई बड़े राजनीतिक दांव चले। हालांकि कोई दांव ऐसा नहीं था, जिसके लिए ऐसा लगे कि वे बहुत प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बहुत सहज तरीके से राजनीतिक विमर्श को एक दिशा देने का प्रयास किया। इस बात पर मीडिया में भी किसी ने ध्यान नहीं दिया कि खड़गे ने बहुत जोर देकर कहा कि वे दूसरे किसी भी नेता के मुकाबले ज्यादा देशभक्त हैं और आसन को कहना पड़ा कि उनकी देशभक्ति पर किसी को संदेह नहीं है। इसमें खड़गे ने अपनी सामाजिक स्थिति भी बताई और साथ ही यह भी कहा कि वे इस देश के मूलवासी हैं।
खड़गे का मूलवासी का दांव कांग्रेस के बहुत काम आ सकता है। ध्यान रहे वे दलित हैं और बेहद साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से आए हैं। उनके पिता मिल मजदूर थे। सो, एक तो मूलवासी और दूसरा देशभक्ति का दांव। तीसरा दांव लुई वितों का मफलर या स्कार्फ डाल कर सदन में आने का था। उन्होंने बहुत सोच समझ कर दुनिया के सबसे लक्जरी ब्रांड का स्कार्फ डाला था। ध्यान रहे सदन में उनको एक समय दुनिया के नंबर दो अमीर रहे गौतम अदानी की करनी थी और उन्होंने स्कार्फ पहना था दुनिया के नंबर एक अमीर आदमी की कंपनी का। इसके जरिए उन्होंने दलित आकांक्षाओं को आवाज दी। याद करें कैसे मायावती महंगे गहने पहनती थीं और नोटों की माला से उनका स्वागत होता था। इस तरह वे दलितों का मनोबल और उम्मीदें बढ़ाती थीं। वहीं काम सदन में खड़गे ने किया। कर्नाटक के चुनाव में उनका यह दांव बहुत कारगर हो सकता है।