कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपना संगठन बनाना शुरू कर दिया है और शुरुआत गुजरात से की है। ऐसा लग रहा है कि वे बिग बैंग की तरह एक बार में सारी नियुक्तियां नहीं करेंगे, बल्कि राज्यवार एक एक करके पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी। कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि एक बार में सारी नियुक्ति करने पर विवाद की ज्यादा गुंजाइश रहती है। उस पर फोकस बनता है, मीडिया में खबरें बनती हैं और मामूली विरोध भी हो तो उसे बड़ा बना कर दिखाया जा सकता है, जबकि एक एक करके नियुक्ति करने में ऐसे विवाद नहीं होते हैं। यह रणनीति हो सकता है कि सही हो पर सवाल है कि गुजरात से शुरुआत क्यों? गुजरात में कांग्रेस का कुछ भी दांव पर नहीं है। वहां 2024 में भी कांग्रेस का खाता खुलने की संभावना नहीं है फिर भी वही पहले अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है और वहां के ही एक नेता को प्रभारी भी बनाया गया है।
राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल को गुजरात कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। वे अच्छी पसंद हैं। वे पुराने नेता हैं और कांग्रेस के खाम समीकरण में फिट बैठते हैं। वे 1991 से 1995 तक की कांग्रेस की आखिरी राज्य सरकार में मंत्री रहे थे। उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ ही कांग्रेस ने उनकी जगह दीपक बाबरिया को दिल्ली और हरियाणा का प्रभारी नियुक्त कर दिया। आमतौर पर कांग्रेस में इतनी जल्दी फैसला नहीं होता है। पर सवाल है कि बाबरिया को दिल्ली और हरियाणा का क्या अनुभव है, जिसकी वजह से उनको प्रभारी बनाया गया है? वे गुजरात के हैं और इससे भी दिल्ली व हरियाणा में कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होने वाला है। वे इन दोनों राज्यों के जातीय समीकरण में भी फिट नहीं हैं। बहरहाल, कांग्रेस ने पहली बार वर्षा गायकवाड़ के तौर पर किसी महिला को मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है। बताया जा रहा है कि जल्दी ही अन्य राज्यों में भी नियुक्ति होगी।