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खड़गे की टीम का इंतजार

मल्लिकार्जुन खड़गे की टीम का इंतजार लंबा हो रहा है। कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन के तुरंत बाद टीम की घोषणा होने की संभावना थी लेकिन अब कहा जा रहा है कि होली के बाद नई टीम घोषित होगी। खड़गे अक्टूबर में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। अध्यक्ष का चुनाव 19 अक्टूबर को हुआ था और जीतने के बाद 26 अक्टूबर को उन्होंने कार्यभार संभाला था। तब से चार महीने से ज्यादा समय बीत गए हैं और कांग्रेस का केंद्रीय संगठन बिना पदाधिकारियों के है। पार्टी की मीडिया टीम जरूर काम कर रही है लेकिन न कांग्रेस कार्य समिति है और न महासचिव और प्रभारी महासचिव हैं। सबके इस्तीफे हो चुके हैं। एक स्टीयरिंग कमेटी है, जिसमें 47 सदस्य हैं तो उसकी भी दो या तीन बैठकें हुई हैं।

कांग्रेस ने बिना केंद्रीय संगठन के ही तीन राज्यों में चुनाव लड़ लिया। सो, हैरानी नहीं हुई कि 180 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस को आठ सीटें मिलीं, पांच फीसदी से भी कम। कायदे से अध्यक्ष बनने के साथ ही खड़गे को अपनी टीम बनानी चाहिए थी। भले उसकी घोषणा नहीं होती, लेकिन टीम बन जानी चाहिए थी ताकि अधिवेशन में खड़गे के नाम पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मुहर लगने के साथ ही टीम की घोषणा हो जाती। कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा था कि टीम बन रही है और 24 से 26 फरवरी का रायपुर अधिवेशन खत्म होने के बाद घोषणा होगी। लेकिन उसके भी 10 दिन हो गए। सवाल है कि जब सारे नियम तय हैं कि कितने पद किस उम्र के और किस समुदाय के लोगों को देने हैं तो और यह भी तय है कि कौन परिवार के प्रति निष्ठावान है तो फिर देर किस बात की हो रही है?

अब बताया जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे होली के बाद टीम घोषित करेंगे। होली के पांच दिन के बाद 13 मार्च से संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू होगा। उसके बाद अप्रैल-मई में कर्नाटक में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और फिर कई राज्यों में चुनाव हैं। तभी कांग्रेस के अंदर भी बेचैनी बढ़ रही है। प्रदेश के नेता परेशान हैं कि उनके यहां क्या बदलाव होगा। कई राज्यों में अध्यक्ष बदले जाने हैं तो कई राज्यों में प्रभारियों के बदले जाने की खबर है। तभी जो पूर्व प्रभारी तदर्थ रूप से काम कर रहे हैं वे कामकाज में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।

कांग्रेस के कई जानकार नेताओं ने अनौपचारिक बातचीत में कहा है कि अब यह अनिश्चितता खत्म होनी चाहिए। कांग्रेस के पदाधिकारियों की जल्दी से जल्दी नियुक्ति होनी चाहिए। साथ ही कांग्रेस कार्य समिति का गठन भी जल्दी होना चाहिए। वैसे भी जब सारे सदस्य मनोनीत होने हैं तो उसमें देरी नहीं होनी चाहिए। जितनी जल्दी पदाधिकारी नियुक्त होंगे उनकी जिम्मेदारी तय होगी उतनी जल्दी पार्टी चुनाव की तैयारी में जुटेगी। राज्यों के चुनाव तो खैर प्रदेश के नेता लड़ा रहे हैं लेकिन लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए कांग्रेस को मजबूत संगठन की जरूरत है।

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