पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी कुछ मामलों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के रास्ते पर हैं तो कुछ मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रास्ते पर चलती हैं। जैसे पिछले दिनों उन्होंने अपने राज्य के मीडिया समूहों से कहा कि विज्ञापन चाहिए तो सकारात्मक खबरें छापें-दिखाएं। सोचें, सकारात्मक खबरों के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कितना समय पहले मीडिया को ‘जागरूक’ किया था। बहरहाल, अब ममता बनर्जी ने पार्टी नेताओं के बीच भ्रष्टाचार को लेकर छिड़ी जंग को भी दबाने के लिए अपनी सांसद महुआ मोईत्रा को हड़काया है। Mamta Banerjee discussion corruption
असल में पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में ‘बांग्ला आबास योजना’ में भ्रष्टाचार की शिकायत पार्टी के कुछ नेताओं ने की थी। इस क्षेत्र की सांसद महुआ मोईत्रा के करीबियों ने यह मुद्दा उठाया और पार्टी के नेता जयंत साहा पर आरोप लगाए। इससे ममता बनर्जी इतनी नाराज हो गईं कि उन्होंने कृष्णानगर नगरपालिका के अध्यक्ष पद से असीम साहा को हटा दिया और उनकी जगह जयंत साहा के करीबी नरेश दास को प्रशासक लगा दिया। ममता इतने पर नहीं रूकीं। उन्होंने जयंत साहा और पार्टी के दूसरे नेताओं के सामने महुआ मोईत्रा को फटकार लगाई और कहा कि इस तरह की बातों की चर्चा सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए।
सोचें, जिसके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे उसके हाथ में सब कुछ सौंप दिया गया और महुआ मोईत्रा को गोवा भेज दिया गया। भ्रष्टाचार की खबरें सार्वजनिक होने से ममता बनर्जी नाराज हुईं लेकिन वे अपनी एक सांसद को डांट-फटकार कर रही थीं और उसकी वीडियो वायरल हो गई, उस पर उनको कोई नाराजगी नहीं है। क्या वे और उनकी पार्टी के कुछ नेता महुआ मोईत्रा का कद बढ़ने से भी नाराज हैं?
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