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ममता को मुस्लिम वोट की चिंता

तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के करीब 30 फीसदी अल्पसंख्यक वोटों की चिंता सता रही है। उनको लग रहा है कि भाजपा और संघ के प्रति सद्भाव दिखाने की उनकी रणनीति बैकफायर कर रही है। राज्य की मुस्लिम बहुल सागरदिघी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के हाथों मिली हार ने उनको बेचैन कर दिया है। तभी वे कांग्रेस पर भी भड़की थीं। हालांकि अब ऐसा लग रहा है कि उन्होंने भाजपा के साथ सद्भाव दिखाने की रणनीति छोड़ कर कांग्रेस की ओर हाथ बढ़ाया है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सरकारी मदद और अन्य उपायों से अल्पसंख्यकों को खुश करने का प्रयास भी शुरू किया है। इसके लिए उन्होंने पहला काम यह किया है कि राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री को हटा दिया है।

ममता बनर्जी ने अपनी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद गुलाम रब्बानी को हटा कर दूसरे विभाग में भेज दिया है। अब अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय वे खुद संभालेंगी। यह ममता का बड़ा दांव हैं। ध्यान रहे ममता को मुस्लिमपरस्त साबित करने के लिए भाजपा उनको ममता बानो कहती रही है। अब अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय संभालने से भाजपा के लिए ऐसे आरोप लगाना और आसान हो जाएगा। लेकिन ममता को लग रहा है कि उनकी पहली चिंता 30 फीसदी वोट बचाने की है। तभी मंत्रालय संभालने के साथ ही उन्होंने अल्पसंख्यक विकास बोर्ड और प्रवासी मजदूर विकास बोर्ड बनाने का फैसला किया है। इसका काम भी वे खुद देखेंगी और साथ ही मदरसा शिक्षा का काम भी संभालेंगी।

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