पंजाब से कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी वैसे तो अब भी कांग्रेस के प्रवक्ता हैं लेकिन संचार विभाग की ओर से उनको प्रेस ब्रीफिंग में नहीं बुलाया जाता है। जब से उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले जी-23 नेताओं की चिट्ठी पर दस्तखत किया था तब से वे हाशिए में हैं। लेकिन अब कहा जा रहा है कि उनका पुनर्वास होने वाला है। बतौर प्रवक्ता मनीष तिवारी का पुराना स्टैट्स बहाल हो सकता है। यानी नियमित प्रेस ब्रीफिंग से लेकर मीडिया को बाइट देने या विशेष प्रेस कांफ्रेंस का जिम्मा उनको मिल सकता है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे उनका अधिकतम इस्तेमाल करने के पक्ष में बताए जा रहे हैं।
पिछले दिनों तिरूवनंतपुरम में विशेष प्रेस कांफ्रेंस के लिए उनको भेजा गया था। संसद की गतिविधियों में भी उनकी भूमिका बढ़ी है। उन्होंने राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने और लोकसभा की सदस्यता समाप्त किए जाने के बाद काम रोको प्रस्ताव का नोटिस भी दिया था। केंद्र सरकार ने जब वन संरक्षण संशोधन विधेयक संसद की स्थायी समिति को नहीं भेजा तो तिवारी ने इसका विरोध किया। ध्यन रहे इस मंत्रालय की कमेटी के प्रमुख जयराम रमेश हैं, जो कांग्रेस के संचार विभाग के भी प्रमुख हैं। रमेश ने भी वन संरक्षण विधेयक संसद की स्थायी समिति को नहीं भेजने के विरोध में चिट्ठी लिखी है। उन्हीं की तर्ज पर तिवारी ने भी विरोध किया। सो, ऐसा लग रहा है कि रमेश के साथ उनका सद्भाव बन रहा है। तभी खड़गे की नई टीम में उनके लिए अच्छी जगह की संभावना जताई जा रही है।