meeting of nic modi भारत में एक राष्ट्रीय एकता परिषद यानी एनआईसी है, जिसकी समय समय पर बैठक होती रहती है। सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इसके सदस्य होते हैं। एनआईसी की बैठक में देश की एकता और अखंडता को लेकर विचार होता है। राज्यों के बीच के विवादों का निपटारा होता है या कम से कम उसके बारे में बात होती है। इस परिषद का मकसद विविधता में एकता सुनिश्चित करना होता है। साथ देश में धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना, धर्मनिरपेक्षता और समानता सुनिश्चित करना और सबके लिए राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना होता है। इस राष्ट्रीय एकता परिषद की आखिरी बैठक सितंबर 2013 में हुई थी।
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मनमोहन सिंह की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की आखिरी वेला में इसकी बैठक की थी। उसके बाद मई 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आ गई और उसके बाद से एनआईसी की बैठक नहीं हुई। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने संसद में इसकी जानकारी दी है। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके परिषद के मकसदों को पूरा करने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। सवाल है कि जब सरकार काम कर ही रही है तो फिर एनआईसी की बैठक करने में क्या दिक्कत है? असम और मिजोरम के बीच हुई हिंसक झड़प और आधा दर्जन लोगों के मारे जाने के बाद यह सवाल ज्यादा अहम हो जाता है। क्या पता राष्ट्रीय एकता परिषद की नियमित होने वाली बैठकों से राज्यों के बीच होने वाले इस किस्म के विवाद टल जाते?
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