bjp parliamentary board : भारतीय जनता पार्टी में फैसले करने वाली सर्वोच्च ईकाई संसदीय बोर्ड में एक और जगह बन गई है। संसदीय बोर्ड के सदस्य और केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बना दिया गया है। संवैधानिक पद पर जाने के बाद वे भाजपा के संसदीय बोर्ड में नहीं रह पाएंगे। उनसे पहले संसदीय बोर्ड में तीन और जगह अलग अलग कारणों से बनी थी। लेकिन हैरानी की बात है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व संसदीय बोर्ड में नए सदस्यों को नहीं शामिल कर रहा है। बोर्ड में जगह खाली होने का सिलसिला 2017 से चल रहा है।
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सबसे पहले पार्टी के पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू के उप राष्ट्रपति बनने के बाद 2017 में एक जगह खाली हुई थी। लेकिन उनकी जगह कोई नई नियुक्ति नहीं हुई। पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद अगस्त में भाजपा संसदीय बोर्ड के दो सदस्य सुषमा स्वराज और अरुण जेटली का निधन हो गया। उनकी जगह भी किसी को नहीं नियुक्त किया गया और अब थावरचंद गहलोत को राज्यपाल बनाया गया है। इस तरह भाजपा संसदीय बोर्ड में अब चार जगहें खाली हो गई हैं। 12 सदस्यों वाली इस ईकाई में अब सिर्फ आठ सदस्य हैं।
bjp parliamentary board में पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष के साथ साथ सभी पूर्व अध्यक्ष शामिल होते हैं। इस नाते जेपी नड्डा के साथ साथ राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और अमित शाह को संसदीय बोर्ड में जगह मिली है। प्रधानमंत्री होने के नाते नरेंद्र मोदी बोर्ड के सदस्य हैं। वे लोकसभा में पार्टी के नेता भी हैं। संसद के दोनों सदनों के नेता बोर्ड के पदेन सदस्य बनाए गए हैं। राज्यसभा में पार्टी का नेता होने की वजह से ही थावरचंद गहलोत को संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया गया था।
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भाजपा का संगठन महामंत्री भी संसदीय बोर्ड का पदेन सदस्य होता है। इस नाते बीएल संतोष बोर्ड में हैं। पहले रामलाल इस पद पर थे तो वे बोर्ड के सदस्य थे। इन पदेन सदस्यों के अलावा इकलौते व्यक्ति शिवराज सिंह चौहान हैं, जो संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं। वे भाजपा के इकलौते मुख्यमंत्री भी हैं, जिनको पार्टी की इस सर्वोच्च ईकाई में शामिल किया गया है। शिवराज सिंह चौहान केंद्र में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के थोड़े दिन के बाद 2014 में ही संसदीय बोर्ड के सदस्य बनाए गए थे।