थावरचंद गहलोत के राज्यपाल (Thawar Chand Gehlot governer) बनने से तीन वैकेंसी बनी है। वे मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद थे और उच्च सदन में भाजपा के नेता थे। सो, दो वैकेंसी तो यह बनी है। मध्य प्रदेश में एक राज्यसभा की सीट खाली हुई है और राज्यसभा में नेता का पद खाली हुआ है।
तीसरी वैकेंसी भाजपा संसदीय बोर्ड में हुई है, जिसके वे सदस्य थे। सो, एक उनके जगह खाली करने से तीन लोगों का काम मिल सकता है। उनकी जगह पार्टी किसी दूसरे दलित नेता को संसदीय बोर्ड में शामिल करेगी। यह फैसला थोड़ा आगे पीछे हो सकता है। लेकिन 19 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने वाला है और उससे पहले पार्टी को उच्च सदन में अपना नेता नियुक्त करना होगा। ध्यान रहे थावरचंद गहलोत 2019 में अरुण जेटली के निधन के बाद उच्च सदन में पार्टी के नेता नियुक्त हुए थे।
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सो, पहला सवाल है कि कौन बनेगा उच्च सदन में पार्टी का नेता? राज्यसभा में पार्टी के कई अनुभवी सदस्य हैं। पार्टी के महासचिव भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर, सुरेश प्रभु, पीयूष गोयल, पार्टी के महासचिव दुष्यंत गौतम, पूर्व महासचिव सरोज पांडेय, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, मनसुख भाई मंडाविया, पुरुषोत्तम रूपाला, धर्मेंद्र प्रधान आदि। इनमें से किसी भी को उच्च सदन में नेता बनाया जा सकता है। पार्टी का फोकस इस समय दलित या ओबीसी नेतृत्व को आगे करने पर है इसलिए इन दो में से किसी समुदाय का व्यक्ति नेता बनेगा।
जहां तक थावरचंद गहलोत के राज्यपाल ( Thawar Chand Gehlot governer ) बनने के बाद खाली हो रही राज्यसभा सीट का सवाल है तो उसके लिए पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम प्रमुखता से चर्चा में है। पार्टी उनको उच्च सदन में भेज सकती है। तृणमूल कांग्रेस और राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए दिनेश त्रिवेदी के लिए राज्यसभा की सीट तलाशी जा रही है।