अमेरिका में इस साल के अंत में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं और डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के लिए चुनाव लड़ने वाले हैं। पिछले अमेरिका के ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाउडी मोदी कार्यक्रम हुआ था, जिसमें ट्रंप शामिल हुए थे। वहां मोदी ने अबकी बार ट्रंप सरकार का नारा दिया था। ध्यान रहे पिछले साल भारत में भी लोकसभा के चुनाव हुए थे और साल की शुरुआत में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुस कर बालाकोट एयरस्ट्राइक किया था। भारत ने आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने का दावा किया था और यहीं चुनाव का मुद्दा बना था।
उधर अमेरिका में बिल्कुल ऐसी ही कहानी दोहराई गई है। साल के अंत में चुनाव हैं और साल की शुरुआत ईरान में हवाई हमले से हुई है, जिसमें अमेरिका ने ईरान के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मार डाला है। इस तरह अमेरिका ने ईरान के खिलाफ खुले युद्ध का ऐलान कर दिया है। ईरान ने भी कहा है कि वह बदला लेगा। इस तरह चुनावी साल में अमेरिका में राष्ट्रवाद का माहौल बन गया है। तभी सोशल मीडिया में यह तुलना चल रही है कि ट्रंप अपने प्रचार के लिए मोदी मॉडल अपना रहे हैं। ट्रंप का 2011 का एक ट्विट भी इन दिनों चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा था कि तब के राष्ट्रपति बराक ओबामा दूसरी बार चुनाव लड़ने से पहले ईरान के खिलाफ युद्ध छेड़ सकते हैं। ओबामा ने तो नहीं किया पर ट्रंप ने युद्ध छेड़ दिया है।
ट्रंप क्या मोदी के रास्ते पर?
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