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नेताजी की प्रतिमा, ध्यान हटाने के लिए?

ByNI Political,
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नेताजी की प्रतिमा, ध्यान हटाने के लिए?
दिल्ली में इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र की मूर्ति लगाने का फैसला बहुत सोचा समझा और पहले से प्लान किया गया था या अचानक हुआ? प्रधानमंत्री से लेकर दूसरे मंत्री और भाजपा के तमाम नेता यह समझाने में लगे हैं कि गांधी परिवार ने नेताजी की अनदेखी की इसलिए उनकी 125वीं जयंती के मौके पर इंडिया गेट पर उनकी मूर्ति लगाने का फैसला हुआ। सवाल है कि अगर ऐसा है तो फिर 125वीं जयंती के दिन यानी 23 जनवरी 2022 को क्यों नहीं ग्रेनाइट की बनी मूर्ति लगाई जा रही है? क्यों प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि जब तक ग्रेनाइट वाली मूर्ति तैयार होकर नहीं आती है तब तक होलोग्राफिक मूर्ति लगेगी? प्रधानमंत्री क्यों 23 जनवरी को होलोग्राफिक मूर्ति का अनावरण कर रहे हैं? Netaji statue divert attention असल में इंडिया गेट पर बनी यह छतरी 1960 के बाद खाली पड़ी हुई थी। उस समय किंग जॉर्ज पंचम की मूर्ति वहां से हटाई गई थी। अब भी उस छतरी में नेताजी की मूर्ति लगाने की कोई योजना नहीं थी। लेकिन जब अमर जवान ज्योति बुझाने और सिर्फ एक ही जगह राष्ट्रीय समर स्मारक पर ज्योति जलने देने का फैसला हुआ और एक दिन पहले इसकी घोषणा हुई तो पूरे देश में और दुनिया में भी इस फैसले पर सवाल उठे। सरकार ने इस फैसले के पक्ष में कुछ समर्थन भी जुटाया लेकिन इसकी ज्यादातर आलोचना हुई। सरकार को इसका अंदाजा रहा होगा तभी अमर जवान ज्योति को बुझाने का फैसला गोपनीय रखा गया था। उसी समय यह तय हुआ होगा कि अगर आलोचना होती है तो लोगों का ध्यान हटाने के लिए नेताजी की मूर्ति लगाने का ऐलान किया जाएगा। Read also पाकिस्तान से रिश्ते सुधरने की सोचे ही नहीं! सोचें, अगर नेताजी की 125वीं जयंती के मौके पर इंडिया गेट पर उनकी मूर्ति लगाने का फैसला सुविचारित होता और इस बारे में पहले विचार किया गया होता तो भाजपा और उसकी केंद्र सरकार के नजरिए से इसका सबसे अच्छा समय पिछला साल था। नेताजी की पिछली जयंती पर इसकी घोषणा की जा सकती है और उसका लाभ मार्च-अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव में लिया जाता। जाहिर है उस चुनाव से पहले तक सरकार के दिमाग में यह बात नहीं थी। उसके बाद भी अगर पहले ही इसकी योजना बनती तो उनकी 125वीं जयंती के मौके पर यानी 23 जनवरी 2022 को उनकी ग्रेनाइट की बनी प्रतिमा इंडिया गेट पर लगाई जाती। जाहिर है यह बाद में बनी योजना है। वैसे भी इस प्रचार का कोई मतलब नहीं है कि नेताजी की मूर्ति राजधानी में नहीं है। संसद भवन परिसर में प्रधानमंत्री कार्यालय के बगल में ही नेताजी की भव्य मूर्ति लगी हुई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने इसे गणतंत्र दिवस की झांकी से भी जोड़ दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने इस साल पश्चिम बंगाल की झांकी को मंजूरी नहीं दी, जबकि वह नेताजी की 125वीं जयंती पर केंद्रित थी। संभव है कि केंद्र सरकार को नेताजी को सम्मान देने का पूरा श्रेय खुद लेना चाहती हो इसलिए बंगाल की झांकी को मंजूरी नहीं दी हो। जो हो नेताजी की मूर्ति लगाने से अमर जवान ज्योति और झांकी दोनों का विवाद थम गया।
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