दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ पोस्टर लगाने वालों पर एफआईआर दर्ज करने और उनको गिरफ्तार करने का विवाद चल रहा है। सारी विपक्षी पार्टियों ने इसे मुद्दा बनाया है और आरोप लगाया है कि देश में तानाशाही हो रही है। लेकिन हकीकत यह है कि अगर भाजपा और उसकी सरकारों को प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना पसंद नहीं है तो उसी तरह किसी प्रादेशिक पार्टी के नेता को भी अपनी आलोचना पसंद नहीं करनी है। तमिलनाडु में एमके स्टालिन से लेकर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी तक की आलोचना करने वालों के खिलाफ मुकदमे हुए और उनको जेल में डाला गया। लोकतंत्र को खतरे में बताने वाली पार्टियां भी उसी तरह से बरताव कर रही हैं, जैसे भाजपा कर रही है।
ताजा मामला तमिलनाडु का है, जहां एक व्यक्ति को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उसने तमिलनाडु सरकार के बजट की आलोचना वाला एक वीडियो शेयर किया था। तमिलनाडु का बजट पेश होने के एक दिन के बाद उसके कुछ प्रावधानों की आलोचना का एक 58 सेकेंड का वीडियो बना, जिसे प्रदीप नाम के 23 साल के एक नौजवान ने शेयर किया। इसमें मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उनके विदेश से पढ़े वित्त मंत्री पी त्यागराजन की आलोचना थी। इसके लिए प्रदीप को गिरफ्तार करके 15 दिन के लिए जेल भेज दिया गया। ममता बनर्जी के बारे में कार्टून शेयर करने पर एक प्रोफेसर की गिरफ्तारी सबको पता है। पिछले दिनों ममता बनर्जी की पुलिस ने कांग्रेस के नेता कौस्तुभ बनर्जी को गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने ममता की आलोचना की थी। नीतीश कुमार अब तो राजद के साथ आ गए हैं लेकिन कुछ समय पहले जब वे भाजपा के साथ थे तो उनकी शराब नीति की आलोचना करने वाले एक राजद नेता को गिरफ्तार कर लिया गया था।