भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में कर्नाटक, गुजरात या उत्तराखंड का फॉर्मूला नहीं लागू करने जा रही है। बताया जा रहा है कि पार्टी न तो मुख्यमंत्री बदलने जा रही है और न मंत्रियों और विधायकों की टिकट काटने जा रही है। हालांकि कुछ विधायकों की टिकट कटेगी लेकिन ज्यादातर की टिकट काट कर एंटी इन्कम्बैंसी दूर करने का फॉर्मूला नहीं लागू होगा। उलटे कर्नाटक से सबक लेकर भाजपा नाराज नेताओं को मनाने में लगी है और जिन लोगों को पार्टी से निलंबित किया गया है उन सबकी वापसी कराई जा रही है। इतना ही नहीं पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ टिप्पणी करने या आंतरिक मतभेद को बढ़ाने वाला काम करने वालों पर कड़ी कार्रवाई भी हो रही है।
भाजपा ने ग्वालियर, रीवा और भिंड के चार ऐसे नेताओं की पार्टी में वापसी कराई है, जिनको पिछले साल निलंबित किया गया था। ये सब जिला स्तर के नेता हैं लेकिन भाजपा उनको गंभीरता से ले रही है। इसी तरह पार्टी के एक वरिष्ठ नेता पर टिप्पणी करने वाले सुशील तिवारी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इस बीच पार्टी के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने संकेत दिया है कि 75 साल की अघोषित उम्र सीमा को मध्य प्रदेश में नहीं लागू किया जाएगा। यानी इस आधार पर पार्टी किसी की टिकट नहीं काटेगी की वह 75 साल का हो गया है। उन्होंने कहा है कि टिकट देने का एकमात्र पैमाना चुनाव जीतने की क्षमता है। अगर कोई नेता चुनाव जीतने की स्थिति में होगा तो उसकी टिकट नहीं कटेगी। पिछली बार कई लोगों की टिकट कटी थी। इस बार भी टिकट कटने की आशंका में गौरीशंकर बिसेन, कुसुम मेहदेले जैसे कई लोग पहले से सक्रिय हो गए थे। लेकिन पार्टी ने सबको भरोसा दिलाया है कि उम्र के आधार पर टिकट नहीं कटेगी। ऐसा लग रहा है कि पार्टी ज्यादातर विधायकों को फिर से मैदान में उतारेगी।