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लोकसभा चुनाव तक ऑपरेशन लोटस नहीं!

अब भी कई विपक्षी पार्टियों के नेता आरोप लगा रहे हैं कि उनकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव तक भाजपा का ऑपरेशन लोटस स्थगित रहने वाला है। पार्टी किसी भी राज्य में सरकार को अस्थिर करके यथास्थिति बदलने का प्रयास नहीं करेगी। खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने पहले झारखंड की एक राजनीतिक सभा में यह बात कही थी और अब बिहार में भी पार्टी की एक रैली में संकेत दिया है।

अमित शाह ने बिहार के नवादा में रविवार को एक कार्यक्रम में बिहार की महागठबंधन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद यह सरकार अपने बोझ से ही गिर जाएगी। ध्यान रहे उनकी पार्टी के नेता इस प्रयास में थे कि या तो महागठबंधन टूट जाए और नीतीश फिर एनडीए में वापसी करें ताकि एनडीए की सरकार बन जाए या फिर नीतीश कुमार की पार्टी तोड़ दी जाए और उसकी मदद से भाजपा अपनी सरकार बना ले। नीतीश की मदद से भी भाजपा का ही मुख्यमंत्री बनाने का प्रयास कई नेता कर रहे थे। लेकिन ऐसा लग रहा है कि अमित शाह ने इसे रोक दिया है।

ठीक इसी तरह उन्होंने झारखंड के चाईबासा में एक रैली में पिछले दिनों कहा था कि 2024 के चुनाव में झारखंड की जनता हेमंत सोरेन के सबक सिखाएगी। उन्होंने झारखंड में भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की ओर इशारा करके मंच से कहा कि बाबूलाल जी चाहते थे कि झारखंड की सरकार गिरा दी जाए लेकिन हमने कहा कि यह हमारा काम नहीं है, प्रदेश की जनता अगले चुनाव में हेमंत को सबक सिखाएगी। हालांकि ऐसा नहीं है कि भाजपा ने झारखंड में सरकार गिराने का प्रयास नहीं किया। कई बार प्रयास के बाद कामयाबी नहीं मिली तो यह स्टैंड लिया गया है।

बहरहाल, झारखंड और बिहार में अमित शाह ने जो कहा उसका मतलब यह है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव तक किसी भी पार्टी की सरकार गिराने का कोई राजनीतिक अभियान भाजपा नहीं चलाने वाली है। ध्यान रहे झारखंड मुक्त मोर्चा, राजद-जदयू, आम आदमी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति आदि पार्टियां आरोप लगाती रही हैं कि उनकी सरकार गिराने की कोशिश हो रही है। विधायकों की खरीद-फरोख्त का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि इस साल कहीं ऐसा होगा। बताया जा रहा है कि भाजपा नहीं चाहती है कि लोकसभा चुनाव से पहले कहीं उथलपुथल हो, जिससे प्रादेशिक पार्टियां अपने प्रति सहानुभूति जुटाने में कामयाब हों। भाजपा को लग रहा है कि राज्यों में जहां प्रादेशिक पार्टियों की सरकार है वहां उनके खिलाफ एंटी इन्कंबैंसी है और भाजपा को उसका फायदा मिलेगा। यह जरूर है कि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के जरिए राज्य सरकारों को तलवार की धार पर रखा जाएगा।

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