पेट्रोल, डीजल की कीमतों में कटौती और विवादित कृषि कानूनों की वापसी के बाद कुछ लोग बेवजह यह उम्मीद पाल रहे हैं कि सरकार जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का फैसला पर पलट सकती है। यानी अनुच्छेद 370 की एक बार फिर वापसी हो सकती है। इसी के साथ यह भी उम्मीद की जा रही है कि सरकार नागरिकता संशोधन कानून भी रद्द कर सकती है। लेकिन सरकार और भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। असल में कुछ लोगों की उम्मीदें इसलिए जगी हैं क्योंकि नागरिकता संशोधन कानून के नियम अभी तक नहीं बने हैं। कानून पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के एक साल बाद भी सरकार अभी तक इसे लागू करने के लिए नियम नहीं बना पाई है।
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केंद्रीय गृह मंत्रालय इसके नियम बनाने के लिए बार बार समय ले रहा है। तभी लोगों को लग रहा है कि चूंकि यह कानून अभी लागू नहीं हुआ है इसलिए इसे वापस लिया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं होगा। उलटे भाजपा चाहती है कि इसकी वापसी के लिए शाहीन बाग किस्म का आंदोलन फिर शुरू हो। अगर ऐसा आंदोलन शुरू होता है तो भाजपा को ध्रुवीकरण कराने में मदद मिलेगी। यह भी कहा जा रहा है कि चुनाव से पहले सरकार इस कानून को लागू करने के नियम भी बना सकती है।
इसी तरह अनुच्छेद 370 की वापसी भी संभव नहीं है। कृषि कानूनों की वापसी के बाद कुछ पत्रकारों और चैनलों ने कश्मीर घाटी में लोगों से बात की, जिसके बाद इसकी चर्चा हुई। लेकिन घाटी के लोगों को भी लग रहा है कि इस कानून की वापसी नहीं होगी। ज्यादा से ज्यादा चुनाव जल्दी हो सकते हैं और उसके बाद राज्य का दर्जा बहाल हो सकता है। इससे ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती है।