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एनआरसी सिर्फ असम और बंगाल में!

ByNI Political,
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एनआरसी सिर्फ असम और बंगाल में!
ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, एनआरसी लागू करने का मुद्दा छोड़ सकती है। वैसे भी अभी इस बारे में सरकार ने कोई पहल नहीं की है। उसे अभी संशोधित नागरिकता कानून, सीएए के तहत नागरिकता देने की चिंता है और साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, एनपीआर को किसी तरह से लागू करना है। ध्यान रहे कांग्रेस और दूसरी भाजपा विरोधी पार्टियों ने एनपीआर पर सरकार का विरोध किया है। वे पुराने फॉर्मेट पर ही एनपीआर अपडेट करने पर अड़े है। सो, सरकार को उनके साथ सहमति बनवा कर एनपीआर का काम शुरू कराना है। तभी एनआरसी का मुद्दा छोड़ना पड़ रहा है। हालांकि असम और पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू हो सकता है। भाजपा इन दो राज्यों में एनआरसी का मुद्दा बनाएगी। ध्यान रहे असम में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से एनआरसी बनी थी। अब सरकार ने इसकी गड़बड़ियां पकड़ी है तो फिर से एनआरसी कराई जा सकती है। वैसे यह भी संभव है कि सरकार मौजूदा एनआरसी को ही रखे और जो हिंदू इससे बाहर रह गए हैं उनको सीएए के तहत नागरिकता मिल जाए। रही बात पश्चिम बंगाल की तो वहां भाजपा एनआरसी का मुद्दा बनाएगी। चुनाव प्रचार में भाजपा असम की तरह पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू करने की बात कर सकती है। वह सुप्रीम कोर्ट के जरिए एनआरसी कराने की बात कहे या यह वादा करे कि उसकी सरकार बनेगी तो वह एनआरसी बनवाएगी। इन दो राज्यों के अलावा फिलहाल एनआरसी की कहीं और गुंजाइश नहीं दिख रही है। हालांकि यह संभव है कि गुंजाइश नहीं होने के बावजूद भी सरकार इसकी घोषणा करे क्योंकि इस मुद्दे में सबसे ज्यादा उन्माद और अव्यवस्था पैदा करने की क्षमता है।
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