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कागज नहीं दिखाएंगे का विमर्श

ByNaya India,
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कागज नहीं दिखाएंगे का विमर्श
संशोधित नागरिकता कानून, सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलनों में देश भर में एक कविता बहुत लोकप्रिय हुई- कागज नहीं दिखाएंगे। स्टैंड अप कॉमेडियन वरुण ग्रोवर ने यह कविता लिखी और अब हर जगह इसका पाठ हो रहा है। सीएए का विरोध करने वाले कह रहे हैं कि वे  अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कागज नहीं दिखाएंगे। शनिवार को वोटिंग के दौरान यह बात एक बार फिर ट्रेंड करती रही। कर्नाटक भाजपा के आधिकारिक हैंडल से एक फोटो ट्विट की गई, जिसमें हाथ में वोटर आई कार्ड लेकर लाइन में लगे मुस्लिम मतदाताओं को दिखाया गया और लिखा गया- कागज संभाल कर रखिएगा, जल्दी ही फिर दिखानी पड़ेगी। यह कागज नहीं दिखाएंग के विमर्श पर एक तंज था। एक न्यूज चैनल पर खुल कर भाजपा का समर्थन करने और विपक्षी पार्टियों पर हमले करने वाले एक एंकर ने ट्विट करके दिल्ली के लोगों से वोट करने की अपील करते हुए कहा- वोट डालने निकलिए और हां, कागज लेकर जाइएगा, वरना वोट नहीं डाल पाएंगे। यह भी कागज नहीं दिखाएंगे के विमर्श पर तंज था। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, एनआरसी का विरोध करते हुए मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय ने भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं को निशाना बनाते हुए लोगों को सलाह दी थी कि जब लोगों से नाम पूछे जाएं तो वे अपना नाम रंगा-बिल्ला बताएं। सो, शनिवार को वोटिंग के दौरान एक व्यक्ति ने ट्विट करके पूछा- रंगा-बिल्ला नाम बताने से काम चल रहा है या कागज दिखाने पड़ रहे हैं? इस तरह मतदान के दौरान पूरे समय सोशल मीडिया के जरिए सीएए के समर्थन का नैरेटिव बनाया जा रहा था। इसका तात्कालिक मकसद भी था और दीर्घकालिक भी।
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