
सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का मुद्दा पार्टियों के लिए बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है। खासकर सरकार चला रही पार्टियों के लिए। कांग्रेस इस मामले में सबसे आराम की स्थिति में है क्योंकि उसकी सिर्फ दो राज्यों में सरकार है और तीन राज्यों में वह साझा सरकार का हिस्सा है। ज्यादातर राज्यों में वह विपक्ष में है। अपने शासन वाले राज्यों में उसने पुरानी पेंशन योजना की लागू कर दी है और बाकी राज्यों में वह इसका वादा कर रही है। इसी तरह आम आदमी पार्टी भी दो छोटे छोटे राज्यों में सरकार में है और इसलिए उसे भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा में दिक्कत नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी इस मामले में बैकफुट पर है और उसके नेता न इसका विरोध कर पा रहे हैं और न समर्थन। उनके समर्थन में सरकारी और प्रतिबद्ध अर्थशास्त्री समझा रहे हैं कि कैसे पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना खराब राजनीति भी है और खराब अर्थशास्त्र भी है। लेकिन सरकारी कर्मचारियों को इससे फर्क नहीं पड़ रहा है। देश भर के सरकारी कर्मचारियों के संगठन आठ दिसंबर को दिल्ली में प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। इसमें केंद्र सरकार के कर्मचारी भी होंगे और राज्य सरकारों के भी। सो, केंद्र की भाजपा सरकार के साथ साथ राज्यों की भाजपा सरकारें भी परेशान हैं। यह मुद्दा इसी तरह पकता रहा तो अगले लोकसभा चुनाव में यह मुख्य मुद्दा बन सकता है। अगले साल भाजपा के शासन वाले राज्यों में चुनाव हैं और वहां कांग्रेस इसका वादा करेगी। वैसे भाजपा के नेता हिमाचल प्रदेश और गुजरात के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। दोनों राज्यों में कांग्रेस और आप ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा किया है।