वैसे इसकी कोई उम्मीद तो नहीं है फिर भी विपक्षी पार्टियां संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही हैं। उनको ध्यान रखना चाहिए कि हाल ही में संसद का बजट सत्र खत्म हुआ है और वह भी तय कार्यक्रम से दो हफ्ते पहले। यानी बजट पास कराने जैसे अहम काम को आनन-फानन में निपटा कर संसद का बजट सत्र दो हफ्ते पहले खत्म कर दिया गया। एक तो कोरोना का खतरा था ही ऊपर से सत्तारूढ़ पार्टी सहित की विपक्षी पार्टियों को भी चुनाव वाले राज्यों में प्रचार करना था इसलिए सत्र पहले खत्म कर दिया गया। इससे संसद के प्रति देश की पार्टियों की गंभीरता का पता चलता है।
बहरहाल, इस गंभीरता को जानते हए भी शिव सेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत और कांग्रेस के लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। दोनों नेताओं ने कहा है कि सरकार एक छोटा सा सत्र बुलाई, जिसमें कोरोना वायरस से निपटने की राष्ट्रीय नीति पर चर्चा की जाए और आगे का रास्ता तय किया जाए। लेकिन इसकी संभावना कम है कि सरकार इस पर ध्यान देगी। इस बार तो प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार कोरोना वायरस को लेकर वैसी गंभीरता भी नहीं दिखा रहे हैं, जैसी पहली लहर के समय दिखाते थे। इस बार तो वैसे भी केंद्र सरकार इसे राज्यों का मुद्दा बता कर अपनी जिम्मेदारी सीमित किए हुए है इसलिए यह संभव ही नहीं है कि इस पर कोई राष्ट्रीय नीति बनाने की पहल हो।
विपक्ष की विशेष सत्र की मांग
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