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विपक्ष को भाषा पर काम करने की जरूरत

विपक्षी पार्टियों के राजनीतिक विमर्श की भाषा पर काम करने की जरूरत है। इसके साथ ही अपने नारों पर भी नए सिरे से काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में विपक्ष के कुछ नारे इतने खराब हैं कि उनकी वजह से ही भाजपा को बहुत फायदा हो जाता है। जैसे पिछले दिनों कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा को दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पुलिस ने विमान से उतार कर गिरफ्तार किया तो कांग्रेस के नेता वही धरने पर बैठ गए और उन्होंने नारा लगाया, ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’। क्या राजनीति में इस तरह के नारों की जरूरत है? कांग्रेस नेताओं को इसका अंदाजा ही नहीं था कि मोदी इसका कैसे इस्तेमाल करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान इसका इस्तेमाल किया और कहा कि कांग्रेस के नेता नारा लगा रहे हैं कि ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’ और देश के लोग कह रहे हैं कि ‘मोदी तेरा कमल खिलेगा’। वे आज तक इस नारे का इस्तेमाल कर रहे हैं। कर्नाटक में रविवार को मांड्या और धारवाड़ में उन्होंने कहा कि मोदी एक्सप्रेस वे बनाने में बिजी है और कांग्रेस के  नेता उसे मारने में लगे हैं। इसी तरह एक अन्य विपक्षी नेता ने कहा कि अगले चुनाव में भाजपा के दफन कर देंगे। क्या विपक्षी पार्टियों को जरा भी इसका अंदाजा नहीं होता है कि वे जब कब्र खुदने या दफन करने की बात करते हैं तो उस पर आम आदमी की क्या प्रतिक्रिया होती है? इससे भाजपा के नैरेटिव को मदद मिलती है। मोदी और उनकी प्रचार टीम को कांग्रेस व समूचे विपक्ष को मुस्लिमपरस्त साबित करने का मौका मिलता है। भले विपक्षी नेता राजनीतिक मौत या राजनीतिक रूप से दफन करने की बात करते हैं लेकिन मोदी उससे अपने लिए सहानुभूति हासिल कर लेते हैं।

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