राहुल गांधी को किसने सलाह दी थी कि विपक्षी पार्टियों को यात्रा में शामिल होने का न्योता दिया जाए? यह बड़ा सवाल है, जिस पर कांग्रेस पार्टी के नेता कुछ नहीं बोल रहे हैं। राहुल को चिट्ठी लिखने और किसी विपक्षी नेता के यात्रा में शामिल नहीं होने, इन दोनों मुद्दों पर कांग्रेस के नेता चुप हैं। राहुल के चिट्ठी लिखने की खबर भी पार्टी के सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई थी। कांग्रेस के कई नेता इस पर सवाल उठा रहे हैं। उनको लग रहा है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया की ओर से यात्रा रोकने के लिए जो चिट्ठी लिखी गई थी उसके जवाब में हड़बड़ी में राहुल से चिट्ठी लिखवा दी गई। राहुल के चिट्ठी लिखने से पहले विपक्ष के नेताओं से बात करनी चाहिए थी और उनकी सहमति मिलने के बाद ही चिट्ठी लिखवानी चाहिए थी।
कांग्रेस के कई नेता मान रहे हैं कि राहुल गांधी को लाल किले से भाषण देना था तो उसमें शामिल होने के लिए विपक्षी नेताओं को बुलाना अच्छी रणनीति होती लेकिन बिना तैयारी के ही उनको न्योता भेज दिया गया। ऐसा नहीं है कि विपक्षी पार्टियां यात्रा के विरोध में हैं। डीएमके तमिलनाडु में यात्रा में शामिल हुई थी तो शिव सेना और एनसीपी के नेता महाराष्ट्र में यात्रा से जुड़े थे। मध्य प्रदेश में जब यात्रा चल रही थी तब झारखंड मुक्ति मोर्चा और गोवा फॉरवर्ड पार्टी के नेता उसमें शामिल होने गए थे। सो, कांग्रेस की कुछ ही सहयोगी पार्टियां बची हैं, जिनके नेता यात्रा में शामिल नहीं हुए हैं। इसलिए अगर कांग्रेस पार्टी की ओर से ठीक से प्रयास किया जाता और यात्रा में शामिल होने की बजाय विपक्ष के बड़े नेताओं को लाल किले पर रैली में शामिल होने का न्योता दिया जाता साथ ही कोई बड़ा नेता इसका समन्वय करता तो हो सकता है कि दूसरी पार्टियों के नेता इसमें शामिल होते।